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आज धरती की ओट में छुप जाएगा चांद

locationबैंगलोरPublished: Jan 31, 2018 12:02:55 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

पूर्ण चंद्रग्रहण में निहित होंगे चंद्रमा के कई रूप, ब्लू-मून होने कारण दुर्लभ ग्रहण

Lunar Eclipse

Lunar Eclipse

बेंगलूरु. साल 2018 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण बुधवार 31 जनवरी को होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में रोमांचक और दुर्लभ होगा। इस ग्रहण में चंद्रमा के कई रूप निहित होंगे जैसे जैसे सुपरमून और ब्लू मून। हालंकि, इसे ब्लड मून भी कहा जा रहा है लेकिन ब्लड मून उन ग्रहणों को कहते हैं जब एक के बाद एक चार पूर्ण चंद्रग्रहण एक श्रृंखला में घटित होते हैं।
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि भारत में उदय के समय चंद्रमा को ग्रहण लग चुका होगा। दिल्ली में 31 जनवरी को चंद्रमा 17.55 बजे उदित होगा जबकि बेंगलूरु में 18.16 बजे। आंशिक चंद्रग्रहण का आरंभ 17.18 बजे होगा जबकि पूर्ण चंद्रग्रहण का आरंभ 18.21 बजे होगा। पूर्ण ग्रहण का मध्य 18.59 बजे और पूर्ण ग्रहण 19.37 बजे समाप्त होगा। आंशिक ग्रहण 20.40 बजे समाप्त होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण में पूर्णता का काल होगा 77 मिनट का होगा। पूर्ण ग्रहण के समय चंद्रमा का रंग भूरापन लिए होगा। वर्ष 2018 का अगला चंद्रग्रहण 27/28 जुलाई की रात को होगा और भारत से दिखाई देगा।
सुपरमून की स्थिति में होगा ग्रहण
पूर्ण चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के निकटतम बिंदु के काफी करीब होगा। पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा का निकटतम बिंदु 3 लाख 56 हजार 566 किमी पर है और पूर्ण ग्रहण के मध्य में चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी 3 लाख 65 हजार 695 किमी रहेगी। पृथ्वी से चंद्रमा की निकटतम स्थिति पेरिगी मून कहलाती है और आम बोलचाल की भाषा में इसे सुपरमून कहते हैं। इसलिए चंद्रमा जहां सामान्य से बड़ा और अधिक चमकीला होगा वहीं पूर्ण ग्रहण इस स्थिति को और भी रोमांचक बना देगा। इसके अलावा एक और दुर्लभ स्थिति बन रही है जो कि ब्लू मून ग्रहण है।
174 साल बाद ब्लू मून ग्रहण
ब्लू-मून होने के कारण इस ग्रहण में एक दुर्लभ स्थिति बन रही है। प्रो.कपूर ने बताया कि अगर एक महीने में दो पूर्णिमाएं होती हैं तो दूसरी पूर्णिमा ब्लू मून कहलाती है। इस महीने 1 जनवरी को पूर्णिमा थी और अब 31 जनवरी को पूर्णिमा होने के कारण यह पूर्णिमा ब्लू मून कहलाएगी। इसमें चंद्रमा का रंग नीला तो नहीं दिखाई देता लेकिन एक दुर्लभ स्थिति को बताने के लिए यह शब्द गढ़ लिया गया है। ब्लू मून का पूर्ण ग्रहण अपने जीवन में हम सभी पहली बार देखेंगे। भारत से दिखाई देने वाला ब्लू मून का पूर्ण ग्रहण 174 साल बाद होने जा रहा है। पिछला ब्लू-मून का पूर्ण ग्रहण 31 मई 1844 को हुआ था जो भारत से नजर आया। उससे भी पहले ब्लू मून का पूर्ण ग्रहण 31 दिसम्बर 1656 को हुआ था जो भारत से देखा गया। अमरीका में ब्लू मून का पूर्ण ग्रहण लगभग 150 साल बाद देखा जाने वाला है। वहां पिछला ब्लू मून का पूर्ण ग्रहण 31 मार्च 1866 को देखा गया था जो कि मार्च की दूसरी पूर्णिमा थी। वह ग्रहण भारत से नहीं नजर आया। पूर्ण चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है जब अपनी कक्षा में अग्रसर चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है। उस समय सूर्य , पृथ्वी एवं चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं। इससे पहले 28 सितम्बर 2015 को पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था और भारत से भी देखा गया।
आईटी सिटी में ग्रहण को लेकर उत्साह
इस बीच बेंगलूरु में पूर्ण चंद्रग्रहण को लेकर उत्साह है और कई स्थानों पर ग्रहण संबंधी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के अलावा, लालबाग, विश्वेसरैया म्यूजियम में भी इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं कुछ शौकीया खगोलविद अपने स्तर पर छोटे समूहों में ग्रहण दर्शन के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। कमोबेश सारे देश में युवा वर्ग उत्साहित होकर ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिनमें न सिर्फ दूरबीन से देखना ही शामिल है बल्कि फोटोग्राफी और लेक्चर आदि भी शामिल है। शहर में ग्रहण धार्मिक मान्यताओं से हटकर एक उत्सव के रूप में भी परिलक्षित हो रहा है। प्रोफेसर कपूर ने कहा कि गर्भवती महिला या गर्भस्थ शिशु को किसी भी ग्रहण में कभी भी कोई नुकसान नहीं हो सकता। आर्यभट्ट ने संसार में सबसे पहले 499 ईस्वी में अपने ग्रंथ आर्यभटीय के जरिए ग्रहणों की सही व्याख्या की और गणित का आधार दिया जिससे ग्रहण की गणनाएं और ग्रहण का परिमाण जाना जा सका।

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