याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कर्नाटक उच्च न्यायालय के 27 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने इस बात का उल्लेख किया था कि शीर्ष अदालत ने 10 मई 2019 को भट की याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि कुछ भौतिक गवाहों की जांच होनी बाकी है। उसमेंं छह महीने का समय लगेगा।
कोर्ट ने तब भट से गवाही पूरी होने के बाद अपनी जमानत याचिका को दायर करने के लिए कहा था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि कुछ गवाहों को आरोपी के कहने पर वापस बुलाया गया है और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनकी जिरह होनी बाकी है। इस मामले में सह-आरोपी शेट्टी की पत्नी राजेश्वरी को जमानत दी गई है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार राजेश्वरी ने अपने 20 वर्षीय बेटे नवनीत शेट्टी के साथ अपने पति की आँखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया और एक रॉड से हमला किया। इसके बाद आरोपी ने पीडि़त के हाथ-पैर बांध दिए और उसे जहर दे दिया। बाद में उसे हवन कुंड में जला दिया गया और सबूतों को नष्ट करने के लिए अस्थियां और शरीर के अंगों को नदी में फेंक दिया गया।
पीडि़त व्यापारी को अपनी पत्नी की निष्ठा पर पहले ही संदेह था और उसने 28 जुलाई 2016 को अपनी हत्या से पहले 9 जुलाई को ही मणिपाल पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में पीडि़त की मां गुलाबी ने अपने बेटे के गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई जिसपर पुलिस ने कार्रवाई की।