सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को बीबीएमपी चुनाव से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। बीबीएमपी परिषद का कार्यकाल 10 सितंबर 2020 को समाप्त हो गया था। उसके बाद राज्य सरकार ने एक आईएएस अधिकारी को नागरिक निकाय के प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वार्ड परिसीमन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और राज्य द्वारा जल्द ही औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके समक्ष आग्रह किया गया है कि राज्य को आठ सप्ताह के भीतर परिसीमन के संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दी जाए।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि राज्य ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है कि आरक्षण के निर्धारण से संबंधित समर्पित आयोग को सौंपा गया कार्य एक ही समय में पूरा किया जाएगा। राज्य का यह आश्वासन रिकॉर्ड में रखा गया है और स्वीकार किया जाता है।
पीठ ने कहा कि वार्ड परिसीमन के संबंध में या नवगठित निगम के लिए आरक्षण प्रतिशत निर्धारित करने संबंधी आवश्यक अधिसूचनाएं आज से आठ सप्ताह के भीतर पूरी और अधिसूचित की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक राज्य चुनाव आयोग (एसइसी) इसके बाद बीबीएमपी एक्ट 2020 के तहत गठित ग्रेटर बेंगलूरु कॉरपोरेशन के नव निर्वाचित निकाय को स्थापित करने के लिए चुनाव कराने की तैयारी शुरू करेगा।
अदालत ने कहा कि एसइसी वार्ड परिसीमन की अधिसूचना की तारीख से एक सप्ताह के भीतर और या समर्पित आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर ओबीसी के लिए आरक्षण का निर्धारण, इनमें से जो भी बाद में हो, उसे शुरू कर सकता है।
पीठ ने कहा कि एक बार जब एसइसी प्रक्रिया शुरू कर देता है, तो उसे कानून के अनुसार इसे अपने तार्किक अंत तक यथासंभव शीघ्रता से ले जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की है।
इससे पहले, कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपनी लंबित याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जिसमें एसइसी को बीबीएमपी के 198 वार्ड में चुनाव कराने के लिए कहा गया था।
बीबीएमपी परिषद का पांच साल का कार्यकाल 2020 में समाप्त हो गया था और एक अत्यावश्यकता थी क्योंकि शीर्ष अदालत ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर, 2020 के फैसले में एसइसी को छह सप्ताह के भीतर चुनाव कराने को कहा था।