उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने कावेरी निगरानी समिति के गठन के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। इसमें से 2 सप्ताह का समय गुजर चुका है। इस समिति के गठन के बाद कर्नाटक सरकार का कावेरी जलबहाव क्षेत्र के बांधों पर कोई अधिकार नहीं होगा लेकिन किसी को भी इस बात की चिंता नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उनकी उम्र अब 85 साल से ज्यादा हो चुकी है। उन्हें अब सत्ता का लोभ नहीं है और वे केवल राज्य की जनता के हितों की रक्षा के लिए राजनीति में सक्रिय हैं।
सीआईडी को सौंप सकते हैं जांच
बेंगलूरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आईटी पेशेवर कुमार अजिताभ के लापता होने के मामले की जांच को बेंगलूरु पुलिस आयुक्त अपने स्तर से अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) की विशेष जांच इकाई को स्थानांतरित कर सकते हैं। मामले की जांच को सीआईडी को स्थानांतरित करने के मुद्दे पर पुलिस आयुक्त ने अदालत से अनुमति मांगी थी।
उन्होंने कहा था कि आने वाले विधानसभा चुनाव सहित अन्य प्रकार मामलों में पुलिस की व्यस्तता को देखते हुए इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपने की अनुमति दी जाए। न्यायाधीश विनीत कोठारी ने इस पर सुनवाई करते हुए पुलिस आयुक्त को मामले की जांच सीआईडी को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया। पुलिस आयुक्त की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) ने अदालत में पक्ष रखा।
दो महीने बाद भी सुराग नहीं
गौरतलब है कि अजिताभ ने एक ऑनलाइन साइट पर अपनी कार बेचने का ऑफर दिया था। बाद में वे कार के साथ ग्राहक के बताए पते पर उससे मिलने गए लेकिन उस दिन के बाद से लापता हो गए। बाद में जब स्थानीय थाने की पुलसि अजिताभ का कोई पता लगाने में असफल रही तब कोर्ट के आदेश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। पुलिस आयुक्त ने दावा किया कि एसआईटी में ८० पुलिस अधिकारी शामिल हैं लेकिन अब तक अजिताभ का कोई पता नहीं चल पाया है।
एएजी ने कोर्ट को बताया कि जिस व्यक्ति ने आखिरी बार अजिताभ से मोबाइल पर बात थी उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड ले रखा था और उस सिम से सिर्फ एक कॉल किया गया था जो अजिताभ को आया था। अजिताभ १८ दिसम्बर २०१८ से लापता हैं। अजिताभ के पिता अशोक कुमार सिन्हा ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि उनका बेटा अजिताभ अपनी कार बेचकर उस पैसे से आईआईएम-कोलकाता में उच्चतर शिक्षा में दाखिला लेना चाहता था।