गैर सरकारी संगठन मर्सी मिशन की नबीला शाह ने बताया कि 55 वर्षीय डीजे हल्ली निवासी पुरुष मरीज को उपचार के लिए पूरी रात करीब नौ घंटे तक भटकना पड़ा। अंत में बोम्मनहल्ली के एक निजी अस्पताल के बाहर मरीज की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि परिजनों ने फोन कर मरीज की जानकारी दी। मरीज ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। मिशन ने ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की। मरीज के घर पहुंचने के बाद एंबुलेंस पहुंचने में करीब तीन घंटे लगे। इससे पहले मरीज का बेटा उन्हें अपनी कार में ही शिवाजीनगर स्थित एक अस्पताल ले गया लेकिन अस्पताल ने मना कर दिया।
केंगेरी स्थित एक और अस्पताल ने बिस्तर की कमी का हवाला देते हुए उपचार नहीं किया। आपातकालीन विभाग में प्रवेश तक नहीं करने दिया। निराश होकर सभी सुबह 4.30 बजे बोम्मनहल्ली स्थित एक और अस्पताल पहुंचे। तब तक ऑक्सीजन सिलेंडर समाप्त होने वाला था। अस्पताल ने मरीज को भर्ती नहीं किया। ऑक्सीजन सपोर्ट तक देने से मना कर दिया। उपचार के अभाव में मरीज ने दम तोड़ दिया।