आचार्य महाश्रमण के दर्शन किए
बैंगलोरPublished: Jul 16, 2018 10:37:00 pm
आचार्य ने मंगलपाठ सुना आशीर्वाद प्रदान किया
आचार्य महाश्रमण के दर्शन किए
बेंगलूरु. राजाजीनगर तेरापंथ युवक परिषद के 24 सदस्यों ने चेन्नई में आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर उनके साथ पैदल रास्ते की सेवा की। इस मौके पर आचार्य ने सभी को मंगलपाठ सुना आशीर्वाद प्रदान किया। सदस्यों ने साध्वी कनकप्रभा, साध्वी समणी मंडल व मुनिवृंद के भी दर्शन कर मंगलपाठ श्रवण किया। मुनि महावीर ने युवाओं को जागरूक होकर सेवा में बढऩे की प्रेरणा दी। मुनि योगेश कुमार स्वामी ने तत्त्व ज्ञान व पचीस बोल कंठस्थ करने की प्रेरणा दी।
भैरव महापुराण कार्यक्रम का आयोजन 22 जुलाई को
बेंगलूरु. कृष्णागिरी पाŸव पद्मावती सेवा मंडल बेंगलूरु शाखा की ओर से 22 जुलाई को पैलेस ग्राउंड में राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजय के सान्निध्य में होने वाले भैरव महापुराण कार्यक्रम में अनेक राजनेता व जनप्रतिनिधि बतौर अतिथि उपस्थित होंगे।
सेवा मंडल के सज्जनराज बाफना, महेंद्र धारीवाल, चंदूलाल गांधी, नरेंद्र पोखरना एवं कमलभाई पुनमिया के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव से भेंटकर कर भैरव महापुराण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण दिया। गुंडुराव ने डॉ वसंतविजय की सराहना करते हुए कहा कि कार्यक्रम में सम्मिलित होना उनका सौभाग्य होगा। उन्होंने अपनी स्वीकृति देने के साथ ही कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की।
संसार की चारों गतियों में दु:ख ही दु:ख
मैसूरु. इटकेगुड स्थित इंदिरा नगर के राजस्थान विष्णु समाज भवन में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने धर्मसभा में कहा कि जिस प्रकार समुद्र के पानी को किसी भी किनारे से चखा जाए वह खारा ही लगता है, अग्नि की ज्वाला को किसी भी भाग से स्पर्श किया जाए, वह जलाती ही है-उसी प्रकार संसार की चारों गतियों में मात्र दु:ख ही दु:ख है। सुख का अंश भी नहीं है। उन्होंने कहा कि संसार रसिक भवाभिनंदी जीव को असार एवं दुखमय संसार भी सारभूत एवं सुखमय ही लगता है। सुख को पाने के लिए व्यक्ति जहां तहां भटकता है, परंतु सुख का अंश भी नहीं मिलता है। सुख एकमात्र वैराग्य में ही है। संसार में परिभ्रमण कर रही आत्मा को वैराग्य की प्राप्ति अत्यंत ही दुर्लभ है। जैनाचार्य प्रात: दादाबाड़ी अग्रहार से विहार कर इंदिरा नगर पहुंचे। रविवार को सुबह 9 बजे संगीतमय महावीर वंदनावती होगी।