दरअसल, लगभग 600 किलोग्राम वजनी रोवर की लांचिंग के लिए टीम इंडस ने इसरो की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स के साथ करार किया था जिसके तहत मिशन की लांचिंग पीएसएलवी से की जानी थी। टीम इंडस ने दिसम्बर 2017 से जनवरी 2018 के बीच मिशन लांच होने का संकेत दिया था क्योंकि प्रतियोगिता के नियमों के तहत मिशन पूरा करने की समय-सीमा 31 मार्च है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक टीम इंडस के साथ इसरो का करार पिछले महीने ही रद्द हो गया है। पिछले अक्टूबर महीने में ही टीम इंडस के नेतृत्वकर्ता राहुल नारायण ने पत्रिका को बताया था कि इस मिशन पर 450 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है और अभी तक आधी राशि (लगभग 225 करोड़ रुपए) खर्च किया जा चुका है। तब राहुल ने कहा था कि कंपनी को फंड की आवश्यकता है और उसकी व्यवस्था की जा रही है। अक्टूबर महीने में ही गूगल लूनर एक्सप्राइज के अंतरराष्ट्रीय पैनल में शामिल जजों ने मिशन की समीक्षा की थी और मिशन को सही पाया था।
गौरतल है कि इस प्रतियोगिता के तहत चांद की धरती पर अपना रोवर उतारकर कम से कम 500 मीटर तक चहलकदमी कराते हुए आंकड़े एकत्रित करने और धरती पर भेजने की चुनौती थी जिसमें विश्व की कुल 30 टीमों ने भाग लिया था। उनमें से 5 टीमें फाइनल में पहुंची। फाइनल में पहुंचने वाली टीमों में से एक जापान की टीम ‘हाकुतोÓ भी है जिसका लैंडर टीम इंडस के साथ भेजा जाना था। वर्ष 2015 में माइलस्टोन टेस्ट पास करने पर इस भारतीय टीम को 10 लाख डॉलर की ईनामी राशि से पुरस्कृत किया जा चुका है लेकिन, मिशन अब अनिश्चितता के भंवर में है।
गौरतल है कि इस प्रतियोगिता के तहत चांद की धरती पर अपना रोवर उतारकर कम से कम 500 मीटर तक चहलकदमी कराते हुए आंकड़े एकत्रित करने और धरती पर भेजने की चुनौती थी जिसमें विश्व की कुल 30 टीमों ने भाग लिया था। उनमें से 5 टीमें फाइनल में पहुंची। फाइनल में पहुंचने वाली टीमों में से एक जापान की टीम ‘हाकुतोÓ भी है जिसका लैंडर टीम इंडस के साथ भेजा जाना था। वर्ष 2015 में माइलस्टोन टेस्ट पास करने पर इस भारतीय टीम को 10 लाख डॉलर की ईनामी राशि से पुरस्कृत किया जा चुका है लेकिन, मिशन अब अनिश्चितता के भंवर में है।