scriptतेजस ने तय किया है लंबा सफर | Tejas has completed long journey | Patrika News

तेजस ने तय किया है लंबा सफर

locationबैंगलोरPublished: Feb 21, 2019 06:21:33 pm

अंतिम परिचालन मंजूरी हासिल करने से पहले हल्के स्वदेशी विमान (एलसीए) को काफी लंबा सफर तय करना पड़ा है।

bangalore news

तेजस ने तय किया है लंबा सफर

बेंगलूरु. अंतिम परिचालन मंजूरी हासिल करने से पहले हल्के स्वदेशी विमान (एलसीए) को काफी लंबा सफर तय करना पड़ा है। लगभग तीन दशक पहले एचएफ मारूत परियोजना के विफल होने के बाद तेजस की शुरुआत लगभग शून्य से हुई और यहां तक पहुंचने में उसे कई बाधाओं को पार करना पड़ा।
तेजस परियोजना के लिए पूर्ण रूप से इंजीनियरिंग विकास कार्यक्रम की शुरुआत अप्रेल 1993 में हुई।
इस विमान का पहला तकनीकी प्रदर्शन उड़ान (टीडी-1) 4 जनवरी 2001 को हुआ। पहले चरण के कार्यक्रम के तहत तकनीक तैयार करने की चुनौती थी ताकि एक पूर्ण रूप से विकसित प्रोटोटाइप के विकास का निर्णय किया जा सके। तमाम उद्देश्यों में कामयाबी हासिल करते हुए पहला चरण 31 मार्च 2004 को पूरा हुआ।
इसके बाद कोष का बेहतर प्रबंधन करते हुए दो विमानों के लिए आवंटित फंड में चार एयरक्राफ्ट (टीडी-1, टीडी-2, पीवी-1 और पीवी-2) तैयार किए गए। पहले चरण की परियोजना के प्रगति के दौरान ही नवम्बर 2001 में दूसरे चरण का कार्यक्रम भी शुरू करने का निर्णय किया गया जिसके तहत तेजस के ऑपरेशनल प्रोटोटाइप तैयार करने थे।
दूसरे चरण की परियोजना के तहत तेजस ट्रेनर सहित तीन ऑपरेशनल प्रोटोटाइप तैयार करना था। इसके अलावा हर वर्ष 8 तेजस निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और श्रृंखला उत्पादन के 8 विमानों के उत्पादन का लक्ष्य था। दूसरे चरण के कार्यक्रम को दो चरणों में विभाजित किया गया। इसके तहत प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) और अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी)।
वर्ष 2004 में वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक स्टैंडर्ड ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया। इसमें हथियार, सेंसर, एवियोनिक्स इंटीग्रेशन आदि पर फैसला हुआ। तकनीक के अभाव के बावजूद वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी और तेजस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाया। तेजस की आज तक हर उड़ान बेदाग रही है जो यह साबित करता है कि वह एक विश्वसनीय विमान बन चुका है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो