एक गुफा में स्थित यह मंदिर नरसिंह झीर के उपनाम से भी जाना जाता है। इस गुफा मंदिर में नरङ्क्षसह देव विराजमान हैं। कहा जाता है कि इस ऐतिहासिक मंदिर की स्थापना से लेकर अब तक लगातार पानी की एक धारा प्रवाहित होती रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु कमर तक पानी में उतरकर 300 मीटर तक पैदल चलते हुए नरसिंह देव का दर्शन करने पहुंचते हैं। लेकिन, सूखे के कारण यह मंदिर पिछले एक सप्ताह से बंद है। मंदिर के प्रमुख पुजारी सुभाष राव ने बताया कि उन्हें दु:ख है कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से आने वाले श्रद्धालुओं को बिना दर्शन के वापस लौटना पड़ रहा है।
पिछले जनवरी माह से ही गुफा में जल का स्तर गिरता जा रहा था और अब सूखे के कारण जहां-तहां कुछ स्थानों पर छिटपुट पानी नजर आता है। सूखे के अलावा आस-पास के क्षेत्रों में ट्यूबवेल बढ़ गए हैं जो भू-जल का दोहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से बार-बार टैंकरों से जलापूर्ति की बात कही गई, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। अब उम्मीदें सिर्फ मानसून पर टिकी हैं। मानसून आने के बाद यह तालाब भर जाए और मंदिर का पट खुल जाए। दरअसल, नरसिंह झीर गुफा मंदिर भू-स्तर से 150 फीट नीचे है। यहां सप्ताहांत में 5 से 10 हजार तक श्रद्धालु पहुंचते हैं।