बालसंत जयदीप कुमार ने गीत का संगान किया। तपस्वी परिवार की महिलाओं द्वारा गीत की प्रस्तुति दी। सभा अध्यक्ष कमल सिंह दुगड़ ने तपस्वियों की अनुमोदना की। साध्वी प्रमुखा विश्रृत विभा से प्राप्त संदेश का वाचन महिला मंडल अध्यक्ष स्वर्ण माला पोखरणा एवं सभा उपाध्यक्ष अरविंद सिंघी ने किया। सभा कोषाध्यक्ष कन्हैयालाल सिंघी ने तप अभिनंदन पत्र का वाचन किया। उपासिका सुमित्रा बरडिया, शांति सकलेचा, सीमा धोक ने विचार व्यक्त किए। मंत्री गौतम मांडोत ने संचालन किया। सभा द्वारा तपस्वियों का अभिनंदन किया गया।
जो दिलों को जोड़े वही पर्व:मुनि अमरकीर्ति
बेंगलूरु. जयनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में युगल मुनिराज के सान्निध्य में धर्मसभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनि अमरकीर्ति ने कहा कि पर्व का अर्थ है -प यानि पाप, र- यानि रग -रग से ,व-यानि विसर्जित करना। अर्थात् पर्व का अर्थ है – पाप को रग -रग से विसर्जित करने का दिन। पर्व का दूसरा अर्थ है – जोड़।
बेंगलूरु. जयनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में युगल मुनिराज के सान्निध्य में धर्मसभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनि अमरकीर्ति ने कहा कि पर्व का अर्थ है -प यानि पाप, र- यानि रग -रग से ,व-यानि विसर्जित करना। अर्थात् पर्व का अर्थ है – पाप को रग -रग से विसर्जित करने का दिन। पर्व का दूसरा अर्थ है – जोड़।
जो दो दिलों को जोड़े, जो दो दुश्मनों को आपस में गले मिलाए, जो दो समाज को जोड़े, दो देशों, दो नगरों को आपस में मिलाए। अर्थात् आपस में प्रेम -मैत्री कराए ,उसका नाम है पर्व। रक्षा बन्धन का ध्येय प्रेम और स्नेह का होता है और यही एक ऐसा पर्व है ,जिसे सब मनाते हैं। मुनि अमोघ कीर्ति ने कहा कि हम जिससे भी मिलें, प्रेम, आनंद से मुस्कुरा कर मिलें -ताकि जीवन उत्साह एवं उमंग से भरा रहे।