सम्यक दर्शन साधना का मूल आधार -साध्वी सुधाकंवर
सम्यक दर्शन साधना का मूल आधार -साध्वी सुधाकंवर
बेंगलूरु. शहर के हनुमंतनगर में विराजित साध्वी सुधाकंवर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सम्यग्दर्शन साधना का मूलाधार है। सम्यग्दर्शन होने पर ही ज्ञान और चारित्र सम्यक बनता है। सम्यग्दर्शन का अर्थ है सुदेव – सुगुरु सुधर्म पर पूर्ण आस्थावान होना। मिथ्या विश्वास को सम्यक विश्वास में बदलना सम्यकत्व है। उन्होंने कहा कि अवस्था नहीं व्यवस्था को बदलना, दशा नहीं दिशा को बदलना है। दृष्टि बदलते ही सृष्टि बदल जाती है। बाहरी क्रियाओं के साथ ही आन्तरिक वृत्तियों में बदलाव जरूरी है। आन्तरिक वृत्तियों का बदलाव ही सम्यग्दर्शन है। साध्वी ने कहा कि सम्यग्दर्शन संपन्न आत्मा कभी पाप नहीं करती तथा अनासक्त जीवन जीता है। साध्वी सुयशाश्री ने कहा कि संतोषी सदा सुखी, अतिलोभी सदा दु:खी। साध्वी ने असंतोष के कारण बताते हुए कहा कि 4 कारणों की वजह अभावोन्मुखी दृष्टि, जीवन जीने का अस्वभाविक तरीका, यथार्थ से अनभिज्ञता और निरुद्देश्य जीवन – इन से अंतर में असंतोष रहता है। इच्छाएं आकाश के समान अनंत होती हैं, जिनका कोई अंत नहीं होता है। युवा अध्यक्ष मनोज सोलंकी ने प्रतिदिन 6.30 बजे भक्तांबर एवं प्रार्थना तथा सुबह 7 बजे से 8 बजे तक युवाओं के लिए यूथ एंड जैनिज्म की क्लास में जुडऩे का आग्रह किया।
साध्वी के दर्शनार्थ पुणे से रेशमा गांधी, पोलूर से महावीरचंद रांका, चेन्नई से प्रसनचंद संचेती, सुरेश छल्लानी पहुंचे। धर्मसभा का संचालन मंत्री भंवरलाल गादिया ने किया। अध्यक्ष कल्याणसिंह बुरड़ ने आभार व्यक्त किया।
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