हमारी आध्यात्मिक चेतना पर भौतिकवाद का पर्दा: देवेंद्रसागर
राजाजीनगर में प्रवचन

बेंगलूरु. राजाजीनगर में धर्मसभा में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि आज मनुष्य अत्यधिक भौतिकवादी तथा लालची हो गया है। बलिदान, त्याग, संतोष, चिन्तन-मनन, लोकातीत-अनुभूति, मुक्ति तथा मोक्ष जैसे शब्द, जो कि आध्यात्मिक मूल्यों के द्योतक हैं, हमारे शब्दकोष से लुप्त हो चुके हैं।
व्यापक उपभोगवादी संस्कृति तथा भोग-विलास से पोषित भौतिकवाद ने हमारी आध्यात्मिक चेतना पर पर्दा डाल दिया है। धन-अर्जन, सत्ता तथा प्रसिद्धि की लालसा और सुखवादी जीवन-प्रणाली आज जीवन का परम लक्ष्य बन चुकी है। सभी धर्मों ने लालच को महापाप कहा है। परन्तु, आज लालच ही मुख्य प्रेरणा- द्वार है। मनुष्य का सामूहिक लालच हमारी इस सुन्दर धरती के दुर्लभ तथा अपूरणीय संसाधनों को लूट रहा है तथा समस्त मानव-जाति को पर्यावरणीय विनाश अथवा पर्यावरणघात के कगार की ओर ले जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज के युवा अपने माता-पिता को अपनी शिक्षा और शादी के विषयों में कोई अधिकार नहीं देते हैं। पाठ्य पुस्तकों को पढऩे की किसी को भी फुर्सत नहीं। पूरा जोर खाने पीने, मौज मस्ती, रंगारंग कार्यक्रमों, नशा करने इत्यादि पर दिया जाता है।
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