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संस्कार का प्रभाव व्यवहार में दिखता है-साध्वी भव्यगुणाश्री

locationबैंगलोरPublished: Nov 09, 2022 05:50:43 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

संस्कार का प्रभाव व्यवहार में दिखता है-साध्वी भव्यगुणाश्री
संस्कार का प्रभाव व्यवहार में दिखता है-साध्वी भव्यगुणाश्री
बेंगलूरु. टी. दासरहल्ली में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री व साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि जैसा मनुष्य का स्वभाव होता है] उसी के अनुरूप उसकी मनोदशा बनती रहती है और जब वही आदत अपने जीवन का अंग बन जाती है तो उसे संस्कार मान लेते हैं। शराब पीना प्रारम्भ में एक छोटी सी आदत दिखती है किन्तु जब वही आदत गहराई तक जाती है, तो शराब के सम्बन्ध में अनेकों प्रकार की विचार रेखाएं मस्तिष्क में बनती चली जाती हैं जो एक स्थिति समाप्त हो जाने पर भी प्रेरणा के रूप में मस्तिष्क में उठा करती हैं। जैसे कोई कामुक प्रवृत्ति का मनुष्य स्वास्थ्य सुधार या किसी अन्य कारण से प्रभावित होकर ब्रह्मचर्य रहना चाहता है। इसके लिए वह तरह-तरह की योजनाएं और कार्यक्रम भी बनाता है तो भी उसके पूर्व जीवन के कामुक विचार उठने से रुकते नहीं और वह न चाहते हुए भी उस के विचारों और प्रभाव से टकराता रहता है।
यह संस्कार जैसे भी बन जाते हैं वैसा ही मनुष्य का व्यवहार होगा। यहां यह न समझना चाहिए कि यदि पुराने संस्कार बुरे पड़ गए हैं, विचारों में केवल हीनता भरी है, तो मनुष्य सद्व्यवहार नहीं कर सकता। विहार सेवा में विनोद भंसाली, चेतनप्रकाश झारमूथा, विनोद बंबोरी, दिनेश छाजेड़, गौतमचंद लूणिया, सुनील कुंकुंलोल, विजयराज चूत्तर, प्रकाश चोपड़ा, राकेश दांतेवाडिय़ा, पंकज गांधी, नीलेश लोढ़ा, मनीष बंबोरी, संजय दक, विक्रम छाजेड़, हर्ष, अंकेश, दांतेवाडिय़ा, मोक्ष, हितांश भंसाली, श्रेय लोढा,खुशी,पुफु छाजेड, रिंकू भंसाली, सारिका लोढ़ा लता दक, अनिता झारमूथा, वीणा दांतेवाडिय़ा, निकिता गांधी, ममता छाजेड़, सोनल ने लाभ लिया। सुनीलकुमार कुंकुलोल ने बताया कि साध्वीवृन्द गुरुवार सुबह विहार कर पाश्र्वलब्धि धाम पहुंचेंगी।
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