बैंगलोर

किसानों के हाथ में कलम थामने का प्रयास सराहनीय : श्रीनिवास

क्योंकि किसान अपने साथियों के साथ उनकी भाषा में संवाद करने के लिए अधिक सक्षम होता है

बैंगलोरSep 05, 2018 / 05:16 pm

Ram Naresh Gautam

किसानों के हाथ में कलम थामने का प्रयास सराहनीय : श्रीनिवास

बेंगलूरु. राज्य के चयनित किसानों को उनका तजुर्बा साझा करने के लिए उनके हाथ में कलम थामने का प्रयास सराहनीय है। कृषि विभाग के निदेशक डॉ. बी.वाई. श्रीनिवास ने यह बात कही। मंगलवार को कृषि विभाग तथा बेंगलूरु कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राज्य के प्रगतिशील किसानों के लिए आयोजित विशेष प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि जो बात किसान कहता है या लिखता है उस पर किसानों को अधिक भरोसा होता है। क्योंकि किसान अपने साथियों के साथ उनकी भाषा में संवाद करने के लिए अधिक सक्षम होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद की सरल भाषा किसानों के दिल को छू लेने से वह काफी असरदार साबित होती है। इससे किसान नए-नए प्रयोग आजमाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाते हैं। इसलिए बेंगलूरु कृषि विवि की ओर से ऐसे किसानों के हाथ में कलम थामकर उनको कृषि संबंधित लेखन कैसे लिखे जाते हैं, इसका प्रशिक्षण देना सराहनीय फैसला है। राज्य के सभी कृषि विश्व विद्यालयों को इसका अनुकरण करना चाहिए। इससे प्रगतिशील किसानों का चिंतन तथा उनकी ओर से कृषि में सुधार के लिए जारी कार्यक्रम किसानों तक पहुंचाना आसान होगा।
इस अवसर पर ‘कृषि पत्रकारिताÓ पुस्तक का विमोचन करते हुए ईश्वर दैतोटा ने कहा कि किसानों को आसानी से समझ में आएं, ऐसी सरल व सहज भाषा में अपने तर्जुबे को शब्द रूप देना एक चुनौती है। ऐसे में कृषि विभाग तथा बेंगलूरु कृषि विवि की ओर से प्रकाशित यह पुस्तक किसानों के लिए नौकाओं को मार्गदर्शन करने वाले प्रकाशस्तंभ (लाइट हाउस) के समान होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बेंगलूरु कृषि विवि के कुलपति डॉ. एम.एस. नटराज ने कहा कि बेंगलूरु कृषि विवि की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर की तीन बैच में राज्य के विभिन्न जिलों के 50 से अधिक किसानों को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर उनको उनके तजुर्बे को शब्दबद्ध करने के लिए प्रेरित कर उनकी ओर से लिखे गए ऐसे ज्ञानवर्धक लेख राज्य के सैकड़ों किसानों तक पहुंचाए जाएंगे। इस अवसर पर बेंगलूरु कृषिविद डॉ. डी. राजगोपाल, डॉ. के. शिवराम, तथा बेंगलूरु कृषि विवि के सह विस्तारण निदेशक डॉ. के. नारायण गौड़ा उपस्थित थे।
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