मनोवृत्तियों को बदलने का ध्येय प्रबल होना चाहिए: आचार्य विमलसागर
बैंगलोरPublished: Aug 26, 2023 02:12:00 pm
बेंगलूरु . आचार्य विमलसागर सूरीश्वर ने कहा कि जो मनोवृत्ति में नहीं होता और उसे प्रवृत्ति में लाया जाता है, तो ऐसा आचरण पाखंड बन जाता है। इस प्रकार की साधना-आराधना जीवंत नहीं होती। इसलिए गतानुगतिक धर्म-आराधना या व्रत-उपासना करने का कोई विशेष महत्व नहीं है। मनोवृत्तियों को बदलने का ध्येय सदैव प्रबल होना चाहिए। जो मनोवृत्तियों को नहीं बदलते या मनपूर्वक साधना नहीं करते, ऐसे लोग धर्म को जड़ता पूर्वक जकड़ लेते हैं। उनका धर्म सिर्फ आदतन बन जाता है।