scriptऋषि परम्परा के महान संत हैं महाश्रमण | The great saints of the Sage Parampara are Mahasamahan | Patrika News

ऋषि परम्परा के महान संत हैं महाश्रमण

locationबैंगलोरPublished: Apr 26, 2018 06:41:32 am

तेरापंथ सभा यशवंतपुर की ओर से साध्वी कंचनप्रभा के सान्निध्य में बुधवार को महाश्रमण का 9वां पदाभिषेक दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया।

ऋषि परम्परा के महान संत हैं महाश्रमण

बेंगलूरु. तेरापंथ सभा यशवंतपुर की ओर से साध्वी कंचनप्रभा के सान्निध्य में बुधवार को महाश्रमण का 9वां पदाभिषेक दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। साध्वियों के मंत्रोच्चार के बाद महावीर प्रभु की स्तुति की गई। साध्वी कंचनप्रभा ने कहा कि भगवान महावीर द्वारा प्रदत्त ज्ञान, दर्शन, चारित्र की उत्कृष्ट आराधना करने वाले प्रभावक धर्माचार्यों में एक हैं महाश्रमण।


महाश्रमण भारतीय ऋषि परम्परा के महान संत हैं। वे आज भी अति उत्साह के साथ अङ्क्षहसा यात्रा के माध्यम से मानवता का शंखनाद करते हुए अनवरत गतिमान हैं। साध्वी उदितप्रभा, साध्वी निर्भयप्रभा, मदनलाल बरडिया, फुलवा नाहर, सुमेर सिंह मुणोत, अरुणा मुणोत, खुशबू आच्छा आदि ने विचार व्यक्त किए।


प्रारंभ में कन्या मंडल द्वारा आरती गीत व मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। पुरुषों ने अष्टम का संगान किया। हितेश दक ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। संघगान के साथ पदाभिषेक दिवस का समापन हुआ।

करुणा के सागर हैं महाश्रमण
बेंगलूरु. मुनि रणजीत ठाणा २ के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण का पदाभिषेक दिवस नरेन्द्र सुराणा श्रावक आवास पर मनाया गया। महिला मंडल शांतिनगर की महिलाओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। सोनू कोठारी ने महाश्रमण अष्टकम का संगान किया। मुनि रणजीत कुमार ने कहा कि आचार्य महाश्रमण का जीवन विलक्षण विविधताओं का समवाय है। वे आचारनिष्ठ, अनुशासननिष्ठ, मर्यादानिष्ठ, संघनिष्ठ व करुणा के सागर हैं। रमेश कोठारी, ललित सेठिया, रोहित कोठारी, कन्हैयालाल चिपड़, कंचन देवी कंडलिया, सुभाष सुराणा, विनोद कोठारी, अरुणा संचेती, ममता घोषल आदि मौजूद रहे। संचालन जितेन्द्र घोषल ने किया। आभार नरेन्द्र नाहटा ने जताया।

धूमधाम से मनाया महाश्रमण का जन्मोत्सव
बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण का ५७वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। साध्वी मधुस्मिता ने आयोजित समारोह में कहा कि अंधेरी रात में दीपक, समुद्र में द्वीप, मरुस्थल में कल्पवृक्ष और शीत ऋतु में अग्नि के समान सुखप्रद आचार्य का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि आचार्य का कुशल नेतृत्व हम तब तक प्राप्त करते रहें जब तक फूलों में गंध हो और मेहंदी में रंग हो। साध्वी स्वस्थप्रभा ने एक स्वरचित गीत के संगान से वातावरण को सरस बना दिया। साध्वी सहजयशा ने भी विचार व्यक्त किए। मंगलाचरण प्रेक्षा कातरेचा ने प्रस्तुत किया। संचालन साध्वी भावयशा ने किया।

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