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तेरापंथ संघ के प्राण थे महान संत आचार्य भिक्षु

locationबैंगलोरPublished: Sep 23, 2018 05:55:27 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

आचार्य भिक्षु का 216वां चरमोत्सव

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तेरापंथ संघ के प्राण थे महान संत आचार्य भिक्षु

बेंगलूरु. तेरापंथ सभा यशवंतपुर के तत्वावधान में आचार्य भिक्षु का 216वां चरमोत्सव एवं तपस्वियों का सम्मान कार्यक्रम शनिवार को तेरापंथ भवन में मुनि रणजीत कुमार व मुनि रमेश कुमार के सान्निध्य में आयोजित किया गया। नमस्कार महामंत्रोच्चारण से शुरू हुए कार्यक्रम में मुनि रणजीत कुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने स्वार्थ के लिए नहीं, परमार्थ के लिए साधना की।
नए धर्म-सम्प्रदाय का निर्माण करना उनका लक्ष्य नहीं था। जब साधु-साध्वी दीक्षित होने लगे तब उन्होंने मर्यादा की लक्ष्मण रेखाएं खींची। मुनि रणजीत कुमार ने कहा कि अनुशासन की उन धाराओं के कारण ही आज तेरापंथ धर्मसंघ ने विकास किया है। आगम आधारित उन मर्यादाओं में आचार्य भिक्षु का बलिदान बोलता है।
मुनि रमेश कुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु तेरापंथ संघ के प्राण थे। सत्य के मार्ग पर चलने वाले महान संत थे, जिन्होंने सत्य के लिए संघर्षों को झेलते हुए उस मार्ग पर चलने का संकल्प किया। सभा अध्यक्ष प्रकाशचंद बाबेल ने आचार्य भिक्षु के प्रति भावाभिव्यक्ति की। सुरेश महनोत ने आचार्य भिक्षु का जीवन परिचय दिया।
महिला मंडल की अध्यक्ष अरुणा महनोत ने विचार व्यक्त किए। संगठन मंत्री महावीर ओस्तवाल ने तप-सम्मान पत्र का वाचन किया।
तेयुप अध्यक्ष सुनील बाबेल ने अभिनव सामायिक कार्यक्रम के प्रायोजक विनोद गन्ना का मोमेन्टो भेंट कर सम्मान किया। प्रचार प्रसार मंत्री दिनेश गन्ना ने आभार ज्ञापित किया।

आचार्य जयमल जयंती मनाई
बेंगलूरु. श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अलसूर के तत्वावधान में महावीर भवन में साध्वी नेहाश्री के सान्निध्य में आचार्य जयमल की 311वीं जयंती मनाई गई। जय जाप के साथ शुरू हुए गुणानुवाद कार्यक्रम में साध्वी ने कहा कि बचपन के संस्कार ओर पूर्व भव के अच्छे कर्म व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। दुर्गम क्षेत्रों में जाकर जानलेवा परिषह सहन कर आचार्य जयमल ने धर्म प्रभावना की। उन्हें एका भवतारी आचार्य के रूप में जाना जाता है। साध्वी जिज्ञासाश्री ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन अभय कुमार बांठिया ने किया। मंत्री चंद्रप्रकाश मुथा ने स्वागत किया।

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