मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के बेटे डॉ. यतींद्र की साझेदारी
वाली कंपनी को प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में निजी पैथोलॉजी लैब
खोलने का ठेका देने को लेकर उपजा विवाद अब दिल्ली पहुंच चुका है
बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के बेटे डॉ. यतींद्र की साझेदारी वाली कंपनी को प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में निजी पैथोलॉजी लैब खोलने का ठेका देने को लेकर उपजा विवाद अब दिल्ली पहुंच चुका है। सिद्धू से नाराज नेताओं ने इस मसले पर आलाकमान से शिकायत की थी जिसके बाद आलाकमान के बुलावे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर शुक्रवार को दिल्ली पहुंच गए। बताया जाता है कि आलाकमान ने परमेश्वर से इस विवाद के बारे में रिपोर्ट भी मांगी थी। परमेश्वर ने इस मामले में आलाकमान को पूरे तथ्यों के साथ रिपोर्ट पेश की है।
विवादों से नाराजगी
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आलाकमान सिद्धरामय्या के लगातार विवादों में घिरने से नाराज है। इससे पार्टी की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
कुछ समय पहले ही तोहफे में मिली महंगी घड़ी को लेकर उपजा विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि सिद्धू सरकार के लोकायुक्त के समानांतर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के गठन के फैसले ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया। कांग्रेस इस संकट से उबरने की कोशिश कर ही रही थी कि मुख्यमंत्री के बेटे की कंपनी को सरकारी अस्पताल में निजी लैब खोलने का ठेका मिलने पार्टी को फिर से स्वजन पक्षपात को लेकर विपक्ष के वार झेलने पड़ रहे हैं। भाजपा ने इन मसलों को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में उछाल कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा रही है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि अभी कर्नाटक ही उनके पास सबसे बड़ा राज्य है लिहाजा यहां होनी वाली हर घटना पर आलाकमान की पैनी निगाह है। पिछले पखवाड़े सिद्धू समर्थक व विरोधी विधायकों की अलग-अलग बैठकों पर भी आलाकमान ने नाराजगी जताईथी।
पार्टी में विरोध के सुर : पहले ही अंतर्विरोध से जूझ रही प्रदेश कांग्रेस में इस मसले पर अलग-अलग सुर सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री और पार्टी आधिकारिक तौर पर तो यही कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के बेटे को ठेका मिलने में कुछ भी गलत नहीं है और इसके लिए पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई लेकिन सिद्धरामय्या को अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों का साथ नहीं मिल पा रहा है। राजस्व मंत्री वी श्रीनिवास प्रसाद और पूर्व रेल राज्य मंत्री के.एच. मुनियप्पा इस मामले में प्रतिकूल बयान दे चुके हैं। हालांकि, बढ़ती आलोचनाओं के बीच सरकार ठेका रद्द करने के विकल्प भी विचार कर रही है।
‘सिद्धू बेटे को कंपनी से हटने के लिए कहें’
कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को अपने बेटे को उस कंपनी के निदेशक मंडल से हटाने का सुझाव दिया है, जिसे सरकारी अस्पताल में निजी लैब स्थापित करने का ठेका मिला है। दिग्विजय ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में इस बात से इनकार किया कि उन्होंने सिद्धरामय्या को पूरे मामले की जांच कराने के लिए कहा है। सिद्धरामय्या ने कहा कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी, मुख्यमंत्री के बेटे की कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई थी इसलिए उसे ठेका मिला। इस मामले की फाइल कभी भी मुख्यमंत्री के पास नहीं आई।
दिग्विजय ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने इस मामले में किसी भी तरह की जांच के लिए नहीं कहा है। दिग्विजय ने कहा कि मैंने सिद्धरामय्या को निजी तौर पर पुत्र को उस कंपनी से हटने के लिए कहने का सुझाव दिया है। यह कोई आदेश नहीं, सिर्फ सुझाव है। कानूनी तौर पर ठेके में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन प्राथमिकता के आधार पर यह सुझाव दिया है। गौरतलब है कि बेंगलूरु के विक्टोरिया अस्पताल परिसर में स्थित प्रधानमंत्री सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में निजी लैबस्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री के बेटे की साझेदारी वाली कंपनी मैट्रिक्स इमेजिंग साल्यूशंस को कुछ समय पहले ठेका मिला था।