साध्वी प्रेक्षाश्री ने कहा कि संयम जीवन लेना आसान नहीं है, लोहे के चने चबाने के समान है। उन्होंने कहा कि जो शूरवीर होते हैं, वे ही संयम पथ पर बढ़कर जिन शासन की प्रभावना करते हैं। संयम जीवन में अनुकूलता और प्रतिकूलता दोनों ही आती हैं, लेकिन जो संभव से सहन कर जाता है उनका संयम सफल हो जाता है।
धर्मसभा का संचालन संघ अध्यक्ष मीठालाल ने किया। साध्वी प्रतिभाश्री के दीक्षा दिवस एवं जन्म दिवस के उपलक्ष में संस्कार वाटिका के बच्चों ने और उन्नति बालिका मंडल की आरती मकाणा की प्रेरणा से प्रतिभाश्री के जीवन चरित्र पर लघु नाटिका प्रस्तुत की। इशिका डांगी एवं लेखा कोठारी, आदित्य माण्डोत ने गीतिका प्रस्तुत की।