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जो काम 10 हजार लोग न कर सके उसे एक ने यूँ चुटकी में कर दिया

locationबैंगलोरPublished: Aug 09, 2018 07:10:55 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

सजी सीता-राम की भव्य झांकी

ram katha

धनुष को 10 हजार राजा तिल भर सरका नहीं पाए, उसे राम ने सहजता से उठाकर तोड़ दिया

अयोध्या से राजा दशरथ बारात लेकर आए और राम के साथ चारों भाइयों का एक मंडप में विवाह हुआ

बेंगलूरु. श्रीराम सेवा समिति के तत्वावधान एवं सीरवी समाज के सहयोग से सुंकदकट्टे आई माता मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के पंचम दिवस की कथा में पंडित पवन महाराज ने कहा कि जिस शिव धनुष को 10 हजार राजा तिल भर सरका नहीं पाए, उसे राम ने सहजता से उठाकर तोड़ दिया। सीता ने राम को वर माला पहनाई। उन्होंने लक्ष्मण-परशुराम संवाद का सुंदर वर्णन किया। अयोध्या से राजा दशरथ बारात लेकर आए और राम के साथ चारों भाइयों का एक मंडप में विवाह हुआ। सीताराम की झांकी के साथ नाचते-गाते हुए श्रोताओं ने विवाह का आंनद लिया। कथा में सीरवी समाज के इन्दर, भंवर, नेमाराम, घीसूलाल आदि उपस्थित थे।
जीवन में वचनों का बड़ा महत्व
बेंगलूरु. जिनकुशल सूरी जैन आराधना भवन, बसवनगुड़ी में आयोजित सत्संग सभा में साध्वी प्रियरंजना ने कहा कि मानव जीवन में वाणी मिलना परमात्मा का अनमोल तोहफा है। यदि यह वाणी नहीं मिली होती तो यह दुनिया इतनी अच्छी नहीं होती। इसलिए हमारे जीवन में शब्दों का, वचनों का बहुत बड़ा महत्व है।
साध्वी ने कहा कि जिस व्यक्ति को शब्दों का उपयोग करना आ गया उसकी जिंदगी सुनहरी, सुहानी, सतरंगी बन जाती है। हम हमारे शरीर पर भी निगाह डालें तो पाएंगे कि प्रत्येक इंद्रियां परमात्मा ने दो बनाई है। चाहे आंख हो, नाक हो, हाथ हो या कान हो परंतु काम सबको एक ही दिया है।
परमात्मा ने जीभ एक बनाई है, परंतु काम दो बताए हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक इंद्रियों में हड्डियां बनाई है लेकिन विनीत बनने के लिए, नरमपंथी रहने के लिए इसे हड्डी विहीन बनाया है। किसी भी इंद्रिय के लिए चौकीदार की नियुक्ति नहीं की है। इससे जीभ का महत्व प्रदर्शित होता है। इसी जीभ से हम संसार को मित्र भी बना सकते हैं। शब्दों का दुरुपयोग होने पर शत्रु भी बन सकते हैं।
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