बैंगलोर

साधु को अपने महाव्रतों का पालन दृढ़ता के साथ करना चाहिए

धर्मसभा में बोले ज्ञानमुनि

बैंगलोरOct 20, 2019 / 07:43 pm

Yogesh Sharma

साधु को अपने महाव्रतों का पालन दृढ़ता के साथ करना चाहिए

बेंगलूरु. अक्कीपेट स्थित वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ स्थानक भवन में चातुर्मास प्रवचन में पण्डितरत्न ज्ञानमुनि ने कहा कि इस संसार में योगी आत्माएं कम हैं और भोगी आत्माएं ज्यादा हैं। अच्छे वस्तु कम हैं और बुरे वस्तु ज्यादा है। आम के वृक्ष कम है और बाबुल के वृक्ष ज्यादा है। दुनिया में धन दौलत की चाह रखने वाले व्यक्ति अधिक है। लोग धन के लालच में कभी कभी तो अपने परिवार से भी रिश्ता तोड़ देते हैं। अगर व्यक्ति के पास ज्यादा संपत्ति नहीं होती है तो उसे अपने ही परिवार में सही सम्मान भी नहीं मिलता है। आगे उन्होंने कहा कि साधुओं के जीवन में 22 तरह के परिषह में से एक परिषह ऐसा भी आता है जिसमें उसे अपने अपमान को भी समभावों से सहन करना पड़ता है। साधु को अपने महाव्रतों का पालन दृढ़ता के साथ करना चाहिए। इस संसार में कोई भी स्थिति स्थाई नहीं होती है। आज यदि कोई अनाथ है तो वह भविष्य में नर नाथ बन जाता है और यदि आज कोई उत्सव में मग्न है तो भविष्य में वह शोक संतप्त हो जाता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होती है। लेकिन जब वह अपने कौशल से व्यापार करता है तो वह अपार धन दौलत का मालिक बन जाता है। सारांश ये है कि दु:ख का समय हो या सुख का समय दोनों भी शाश्वत नहीं है। ना तो हम दु:ख में व्याकुल हो और ना ही सुख में फूलें। हमें दोनों ही समय अपनी आत्मा को धर्म के पथ पर आगे बढ़ाना चाहिए। जीवन की आवश्यकताओं को लिए हमें सदैव न्याय से नीति से और किसी को भी दु:ख नहीं पहुंचाते हुए पूर्ण करना चाहिए। प्रारम्भ में लोकेशमुनि ने भी प्रेरक उद्बोधन दिया। साध्वी पुनीतज्योति की मंगल उपस्थिति रही।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.