scriptसच्चे सुख का एक मात्र साधन-सम्यग ज्ञान-आचार्य देवेन्द्रसागर | The only means of true happiness - Samyag knowledge - Acharya Devendra | Patrika News

सच्चे सुख का एक मात्र साधन-सम्यग ज्ञान-आचार्य देवेन्द्रसागर

locationबैंगलोरPublished: Oct 19, 2021 07:28:30 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

नवपद ओली आराधना का सातवां दिन

सच्चे सुख का एक मात्र साधन-सम्यग ज्ञान-आचार्य देवेन्द्रसागर

सच्चे सुख का एक मात्र साधन-सम्यग ज्ञान-आचार्य देवेन्द्रसागर

बेंगलूरु. नवपद ओली आराधना के सातवें दिन जयनगर के राजस्थान जैन संघ में विराजित आचार्य देवेंद्रसागर ने ज्ञान पद की महत्ता को उजागर करते हुए कहा कि ज्ञान के बिना सारी क्रियाएं अधूरी हंै तथा ज्ञान के बिना मोक्ष भी संभव नहीं है। सिर्फ ज्ञान आने से जीवन में बदलाव नहीं आता बल्कि उसका अनुसरण करने से आता है।आचरित करने वाला ज्ञान ही मनुष्य को प्रकाश का मार्ग दिखाता है। ज्ञान लोगों को शक्ति प्रदान करने वाला सबसे अच्छा और उपयुक्त साधन है, ज्ञान वह प्रकाश है जिसे पृथ्वी पर किसी तरह के अंधकार द्वारा दबाया नही जा सकता है। उन लोगों पर निश्चित पकड़ बनाने के लिए, जिन्हें समझ नहीं है, ज्ञान लोगों को सामाजिक शक्ति प्रदान करता है। ज्ञान और शक्ति एक व्यक्ति के जीवन की विभिन्न कठिनाइयों में मदद करने के लिए सदैव साथ में चलती है। हम यह कह सकते हैं कि ज्ञान शक्ति देता है, और शक्ति ज्ञान प्रदान करती है। आचार्य ने कहा कि आत्मा का मौलिक गुण ज्ञान है। ज्ञान आत्मा के लिए कितना आवश्यक है उसका स्पष्टीकरण आगमों में यह कहकर किया है “पढमं नाणो तओ दया” अर्थात प्रथम ज्ञान और बाद में अहिंसा, व्रत, नियम आदि। ज्ञान के बिना अहिंसा का स्वरूप समझ न आने से आत्मा हिंसा को भी अहिंसा धर्म मान सकती है जैसे यज्ञ में बलि देना। ज्ञान ही आत्मा को कृत्या कृत्य का ज्ञान करवाता है। जैनागमों में धर्म को सूक्ष्म बुद्धि से करने का विधान किया है। स्थूल बुद्धि से किया जाने वाला धर्म अधर्म के खाते में चला जाता है।
महावीर परमात्मा की आज्ञा को स्वीकार कर ज्ञान एवं ज्ञानी को अशातना से जितना बचा जा सके उतना बचकर आराधक भाव को अखण्डित रखना यही ज्ञान-ज्ञानी की आराधना है ज्ञान से ही पद मिलता है और पद से पावर व पैसा। आगे बढऩे के लिए कुछ अलग करने की ललक होनी चाहिए अर्थात दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए।
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