सामाजिक असमानता दूर करना ही सच्चा आर्थिक विकास
सिंह ने कहा कि विकास नियोजन एवं योजना आयोग का गठन सिर्फ आर्थिक विकास के लिए नहीं किया गया है बल्कि इनकी जिम्मेदारी सामाजिक असमानता दूर करने की भी है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज के विभिन्न तबकों में फैली असमानता अभी तक दूर नहीं की जा सकी है। इसे दूर करने के लिए हर किसी को प्रयास करना होगा ताकि अमीर-गरीब के बीच उपजी एक बड़ी खाई को पाटा जा सके। भारत एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और इसका फायदा समाज और वंचितों को मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत 1991-96 के दौरान हुईऔर वर्ष 2004-14 के दौरान नए अवसर सृजित करने के प्रयास हुए। आर्थिक सुधार के पीछे मंशा आर्थिक और सामाजिक रूप से परेशान लोगों के लिए नए अवसर खोलना था।
उन्होंने कहा कि नए तरीके से और नई सोच के साथ सामाजिक-आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाना होगा जो उच्च आर्थिक विकास के साथ आर्थिक असामानता को दूर करे और एक उचित समय सीमा के भीतर रोजगार सृजित करे। देश के आर्थिक हालात ऐसे हों जो न सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए रोजगार सृजित करे बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करे। उन्होंने कहा कि बीएएएसई और ऐसे अन्य इकनोमिक्स स्कूल एवं उच्च शिक्षण संस्थान छात्रों में ऐसे ही गुण विकसित करने के लिए प्रेरित करें। शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि जो ज्ञान छात्रों को दे रहे हैं वह भविष्य में उत्पादक साबित हो। कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर सी रंगराजन और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या भी मौजूद थे। ५० विद्यार्थियों के साथ बीएएएसई के पहले सत्र की शुरुआत हुई।