कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. नीति रायजादा ने बताया कि बायोप्सी बेहद सुरक्षित तकनीक है। लोगों में यह भ्रांति है कि बायोप्सी से कैंसर अधिक फैलता है। ऐसी जानकारियां खतरनाक रूप से भ्रमित कर रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी वेबसाइट पर इस भ्रांति को दूर करने के लिए मुहिम छेड़ रखी है। लक्षण के आधार पर चिकित्सक बायोप्सी करवाना चाहते हैं या करवा रहें हों तो इसका मतलब यह नहीं की कैंसर ही हो।
बायोप्सी में मरीज के शरीर के ऊतकों या कोशिकाओं में से एक सैंपल निकाला जाता है। फिर माइक्रोस्कोपिक जांच के लिए पैथोलोजिस्ट के पास भेजा जाता है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल राव बताते हैं कि कैंसर या इसकी स्थिति का पता लगाने के लिए जो लोग बायोप्सी कराते हैं वे नहीं कराने वालों की तुलना में बेहतर और लंबी जिंदगी जीते हैं।
अमरीकी वैज्ञानिकों ने भी अपने शोध में इसकी पुष्टि की है। वैज्ञानिकों ने 11 वर्ष में दो हजार से ज्यादा मरीजों पर अध्ययन किया था।वैसे हर कैंसर की पुष्टि बायोप्सी जांच से नहीं होती है।
लोगों को चाहिए कि वे जांच संबंधित भ्रांतियों से दूर रहें। जांच को लेकर कोई परेशानी हो तो पहले अपने चिकित्सक से बात करें।