उन्होंने कहा कि प्राणियों को नहीं मारना, उन्हें नहीं सताना चाहिए। जैसे हम सुख चाहते हैं, वैसे ही सभी प्राणी सुख और जीना चाहते हैं। अहिंसा, अभय और अमन चैन का वातावरण बनाती है। इस सिद्धांत का सार-सन्देश यही है कि प्राणी-प्राणी के प्राणों से हमारी संवेदना जुड़े और जीवन उन सबके प्रति सहयोगी बनें। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत अनेकांत का है। अनेकांत का अर्थ है-सह-अस्तित्व, सहिष्णुता, अनुग्रह की स्थिति।
भगवान महावीर का तीसरा सिद्धांत अपरिग्रह का है। संग्रह मोह का परिणाम है। जो हमारे जीवन को सब तरफ से घेर लेता है।