scriptअस्त होते सूर्य के अंदर उदित होने वाले सूर्य के अंकुर समाए हुए होते हैं- देवेंद्रसागर | The sprouts of the sun rising inside the setting sun are contained - D | Patrika News

अस्त होते सूर्य के अंदर उदित होने वाले सूर्य के अंकुर समाए हुए होते हैं- देवेंद्रसागर

locationबैंगलोरPublished: Dec 14, 2019 05:37:07 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

मेडिटेशन सेंटर में धर्मसभा

अस्त होते सूर्य के अंदर उदित होने वाले सूर्य के अंकुर समाए हुए होते हैं- देवेंद्रसागर

अस्त होते सूर्य के अंदर उदित होने वाले सूर्य के अंकुर समाए हुए होते हैं- देवेंद्रसागर

बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर ने जिगनी आरोग्यधाम स्थित मेडिटेशन सेंटर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिदिन दूर क्षितिज पर सूर्य उदित होता है और अस्त भी होता है। जिस प्रकार सूर्य का उगना बड़ी बात नहीं है, उसी प्रकार सूर्य का अस्त होना या पश्चिम दिशा में छिप जाना भी कोई बड़ी बात नहीं होती। अस्त होते सूर्य के अंदर उदित होने वाले सूर्य के अंकुर समाए हुए होते हैं। सूर्य हमेशा के लिए कभी नहीं छिपता, वह हमेशा उदित होने के लिए ही अस्ताचल हो जाता है।
इसी प्रकार असफलता हमको मिलती है सफलता के योग्य बनाने के लिए या सफल बनने की प्रेरणा देने के लिए. कोई भी असफलता, अंतिम असफलता नहीं होती, असफलता मनुष्य को मिलती है,पुन: सफलता हमको दिलाने के लिए, असफलता के स्वरूप में सफलता के रूप या अक्ल के अंकुर पहले से ही समाये होते हैं। दिन चक्र में हम देखते हैं कि सूर्य सुबह के समय पूर्व दिशा से उगता है. इसके बाद शनै-शनै वह आकाश में ऊपर चढ़ता हुआ अपनी तेज किरणों को फैलता है। इस तरह दोपहर होती है और फिर सूर्य की दिशा पश्चिम की ओर होती है। शाम के समय वह पश्चिम में जाकर छिप जाता है. फलस्वरूप आकाश में अंधेरा होता है और रात होती है। रात के बाद सूर्य अपने समय पर क्षितिज से पुन: उदित होता है और आकाश में उजाला करता हुआ सवेरा करता है।
आचार्य ने कहा कि सफलता और असफलता का चक्र भी इसी प्रकार का है। सफलता के लिए जब व्यक्ति अपना कदम आगे बढ़ाता है तो वह सूर्योदय की तरह नए कार्य की शुरुआत करता है। दिन चढऩे की तरह वह अपने कार्य में उन्नति पाता हुआ कार्य को कई चरणों में पूरा करता है। जब उसका कार्य अंतिम चरण में पूरा हो जाता है तो उसको उस कार्य में सफलता प्राप्त होती है जब कभी कोई व्यक्ति कार्य को करने में कोई भूल या लापरवाही कर देता है तो उसे कार्य में असफलता भी मिल जाती है। लेकिन एक बार असफलता पाकर व्यक्ति को चुपचाप नहीं बैठ जाना चाहिए और कार्य की सफलता के लिए पुन: प्रयत्न करना शुरू कर देना चाहिए। कारण कि असफलता के भीतर सफलता के तत्व या अंकुर पहले से ही समय हुए होते हैं। आदमी अगर जरा सी हिम्मत अपने भीतर रखे तो वह सफलता के रास्ते पर कई पग आगे बढ़ सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो