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यहां के बासमती चावल की महक को नहीं मिल रहा बाहर आने का रास्‍ता

locationबैंगलोरPublished: Jun 22, 2019 07:53:04 pm

Submitted by:

Sanjay Kumar Kareer

गबरू जवानों से भरा है गांव लेकिन नहीं मिल रही ब्‍याह रचाने की राह

Medini VIlage

इस गांव के बासमती चावल की महक को नहीं मिल रहा बाहर आने का रास्‍ता

बेंगलूरु. कर्नाटक का शुमार देश के सबसे विकसित राज्‍यों में होता है। लेकिन इसी राज्‍य में कई ऐसे स्‍थान भी हैं, जहां रहना किसी अभिशाप से कम नहीं है। ऐसा ही एक गांव है, जिसका बासमती चावल (Basmati Rice) मशहूर है लेकिन पहुंचविहीन गांव होने से यह चावल दूसरी जगहों तक नहीं पहुंच पाता।
बात हो रही हैं कारवार (Karwar) जिले में कुमटा (Kumta) तहसील के बुनियादी सुविधाओं से वंचित मेदिनी गांव की। यह गांव बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए मशहूर है। इस चावल से बनी खीर भी स्वादिष्ट होती है, यह चावल 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिकता है। लेकिन गांव (Village) तक पहुंचने के लिए कोई संपर्क सड़क (Road) नहीं होने से इस अनूठे चावल की समुचित मार्केटिंग (Marketing) संभव नहीं हो पा रही है।
तहसील मुख्यालय कुमटा से 40 किलोमीटर सिद्धापुर तहसील की सीमा पर घने वनक्षेत्र (Forest) में दुर्गम गांव (Medini) तक पहुंचने के लिए ऊबड़-खाबड़ पथरीली सडक़ का सफर पर्वतारोहण से कम नहीं है। यहां पर पहुंचते-पहुंचते यात्री का पसीना छूट जाता है। गांव के 53 परिवारों में 400 जनों की आबादी है। यहां के निवासी कृषि पर निर्भर है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस गांव में रहने वाले युवाओं का घर भी नहीं बसता। कोई भी अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं ब्‍याहना चाहता जहां 8 किलोमीटर का दुर्गम रास्‍ता चल कर जाना पड़े। इस गांव का नाम सुनते ही लोग रिश्ता करने से इनकार कर देते हैं।
इस गांव में दो दर्जन से ज्‍यादा ऐसे युवा हैं, जिनकी शादी (Marriage) इसलिए नहीं हो रही क्योंकि पहाड़ी पर स्थित इस गांव तक जाने के लिए कोई पक्की सडक़ नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर दुर्गम सडक़ का सफर करना पड़ता है। इसलिए लडक़ी वाले इस गांव में शादी के लिए तैयार नहीं हैं।
गांव में सरकारी प्राथमिक स्कूल तथा बिजली की आपूर्ति के अलावा और कोई सुविधा नहीं है। बारिश के दिनों में यहां तेज हवाओं के कारण पेड़, उनकी शाखाएं तारों पर गिरने से बिजली आपूर्ति लगभग ठप रहती है।
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