बात हो रही हैं कारवार (Karwar) जिले में कुमटा (Kumta) तहसील के बुनियादी सुविधाओं से वंचित मेदिनी गांव की। यह गांव बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए मशहूर है। इस चावल से बनी खीर भी स्वादिष्ट होती है, यह चावल 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिकता है। लेकिन गांव (Village) तक पहुंचने के लिए कोई संपर्क सड़क (Road) नहीं होने से इस अनूठे चावल की समुचित मार्केटिंग (Marketing) संभव नहीं हो पा रही है।
तहसील मुख्यालय कुमटा से 40 किलोमीटर सिद्धापुर तहसील की सीमा पर घने वनक्षेत्र (Forest) में दुर्गम गांव (Medini) तक पहुंचने के लिए ऊबड़-खाबड़ पथरीली सडक़ का सफर पर्वतारोहण से कम नहीं है। यहां पर पहुंचते-पहुंचते यात्री का पसीना छूट जाता है। गांव के 53 परिवारों में 400 जनों की आबादी है। यहां के निवासी कृषि पर निर्भर है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस गांव में रहने वाले युवाओं का घर भी नहीं बसता। कोई भी अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं ब्याहना चाहता जहां 8 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता चल कर जाना पड़े। इस गांव का नाम सुनते ही लोग रिश्ता करने से इनकार कर देते हैं।
इस गांव में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे युवा हैं, जिनकी शादी (Marriage) इसलिए नहीं हो रही क्योंकि पहाड़ी पर स्थित इस गांव तक जाने के लिए कोई पक्की सडक़ नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर दुर्गम सडक़ का सफर करना पड़ता है। इसलिए लडक़ी वाले इस गांव में शादी के लिए तैयार नहीं हैं।
गांव में सरकारी प्राथमिक स्कूल तथा बिजली की आपूर्ति के अलावा और कोई सुविधा नहीं है। बारिश के दिनों में यहां तेज हवाओं के कारण पेड़, उनकी शाखाएं तारों पर गिरने से बिजली आपूर्ति लगभग ठप रहती है।