scriptमृत्यु बोध दुनिया का सबसे बड़ा बोध | The world's greatest perception of mortality | Patrika News

मृत्यु बोध दुनिया का सबसे बड़ा बोध

locationबैंगलोरPublished: Sep 25, 2018 04:31:56 am

राजाजीनगर स्थानक में साध्वी संयमलता ने कहा कि मृत्यु बोध इस दुनिया का सबसे बड़ा बोध है।उन्होंने कहा कि मृत्यु परमात्मा के दरबार में इनकम टैक्स ऑफिसर की तारीख है।

मृत्यु बोध दुनिया का सबसे बड़ा बोध

मृत्यु बोध दुनिया का सबसे बड़ा बोध

बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थानक में साध्वी संयमलता ने कहा कि मृत्यु बोध इस दुनिया का सबसे बड़ा बोध है।
उन्होंने कहा कि मृत्यु परमात्मा के दरबार में इनकम टैक्स ऑफिसर की तारीख है। परमात्मा के यहां जीवन का हिसाब किताब देने का दिन है। जीवन का बहीखाता सही हो तो मृत्यु से घबराहट की कोई गुंजाईश ही नहीं रहती। मृत्यु निश्चित भी है और अनिश्चित भी। जीवन में धन, पद, प्रतिष्ठा मिले ना मिले परंतु मृत्यु जरुर मिलेगी, यह निश्चित है।


साध्वी कमलप्रज्ञा ने कहा कि सुख पदार्थ में नहीं परमार्थ से मिलता है। आदमी जब चाहतों को मारता है तब वह जगत का सम्राट बन जाता है। भौतिक साधनों में सुख चार और दुख हजार है। आज जैन दिवाकर कमला ट्राफी प्रश्रमंच में ३०० से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया।


हेमा लुंकड, नीतु लुंकड ने प्रथम, बसंती चाणोदिया, सरला दुग्गड, पदमा मेहता ने द्वितीय व हंसा गन्ना, टीना गन्ना, पिंकी जैन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। बोइसर से महिला मंडल के सदस्यों ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया।


हितकारिणी सभा का धरना २ को
बेंगलूरु. हितकारिणी सभा ने छलवादी व मादिगा समुदाय को आरक्षण देने की मांग पर २ अक्टूबर को फ्रीडम पार्क में धरना देने की चेतावनी दी है। सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एच.आर.सुरेन्द्र ने सोमवार को बताया कि छलवादी व मादिगा समुदाय की जनसंख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। इसके बावजूद दोनों समुदाय शिक्षा, रोजगार और राजनीति के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। समुदायों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ दूसरे समुदाय उठा रहे हैं। डॉ. सुरेन्द्र ने सरकार से सदाशिव आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग की। इस दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष जे.सी प्रकाश व सचिव एस. विजयम्मा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

सात महीने में ३२०४३ मरीजों का उपचार
बेंगलूरु. आरोग्य कर्नाटक स्वास्थ्य योजना के तहत गत सात महीने में ३२,०४३ मरीजों को उपचार हुआ। ३१,५८६ मरीज गरीबी रेखा से नीचे के थे। ३२,०४३ में से १८,२०१ मरीजों का उपचार निजी व १३,८४२ मरीजों का उपचार सरकारी अस्पतालों में हुआ। सबसे ज्यादा ६,११७ मरीज हृदय की विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त थे। जबकि एक बच्चे का कोक्लीयर प्रत्योरोपण हुआ। जले हुए २०० मरीजों का उपचार भी हुआ।

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