scriptतब कुमारस्वामी के कारण गिरी थी कांगे्रस-जद (ध) सरकार | Then the Congress-JD J government had fallen due to Kumaraswamy | Patrika News

तब कुमारस्वामी के कारण गिरी थी कांगे्रस-जद (ध) सरकार

locationबैंगलोरPublished: May 24, 2018 04:49:59 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

वर्ष 2004 के चुनाव में खंडित जनादेश के कारण किसी दल को बहुमत नहीं मिला था

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तब कुमारस्वामी के कारण गिरी थी कांगे्रस-जद (ध) सरकार

बेंगलूरु. एच डी कुमारस्वामी ने बुधवार को कांगे्रस-जद (ध) सरकार के मुखिया के तौर पर पदभार संभाला और खंडित जनादेश के बीच जद (ध) को समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का आभार भी जताया। लेकिन, एक दशक पहले कुमारस्वामी ही कांगे्रस-जद (ध) की पहली सरकार के पतन का कारण भी बने थे।
वर्ष 2004 के चुनाव में खंडित जनादेश के कारण किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी लेकिन कांगे्रस-जद (ध) ने गठबंधन कर उसे सत्ता से दूर कर दिया था। यह दूसरा मौका था जब राज्य में खंडित जनादेश आया था और गठबंधन सरकार बनी थी। गठबंधन सरकार में बड़ी पार्टी होने के कारण तब कांगे्रस के पास मुख्यमंत्री पद था जबकि जद (ध) के खाते में उपमुख्यमंत्री का पद था।
कांग्रेस ने अपने पुराने नेता नारायण धरम सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जबकि जद (ध) ने सिद्धरामय्या को उपमुख्यमंत्री बनाया था। करीब दो साल बाद जब कुमारस्वामी ने फिल्मी दुनिया से सियासत की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया तो जद (ध) प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और सिद्धरामय्या के बीच राजनीतिक मतभेद बढऩे लगे। इस बीच अल्पसंख्यक, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग को जोड़कर अङ्क्षहदा समीकरण खड़ा करने की कोशिश कर रहे सिद्धरामय्या को जनता दल (ध) ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि, उन्होंने हटने से इनकार किया जिसके कारण राज्यपाल को उन्हें बर्खास्त करना पड़ा।
कालांतर में सिद्धरामय्या को जद (ध) को अलविदा कहने के लिए मजबूर होना पड़ा और कुमारस्वामी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ती गई। कांगे्रस और जद (ध) के बीच मतभेद भी बढऩे लगे। बाद में कुमारस्वामी के नेतृत्व में जद (ध) के 41 विधायकों के समूह ने देवेगौड़ा की इच्छा के खिलाफ बगावत कर दी और धरम सिंह सरकार का करीब 20 महीने बाद ही पतन हो गया। इसके बाद जनवरी 2006 में भाजपा और जद (ध) के बीच 20-20 महीने के लिए सत्ता साझेदारी का फार्मूला तय हुआ और तत्कालीन राज्यपाल टीएन चतुर्वेदी ने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया।
कुमारस्वामी भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए और करीब 20 महीने तक पद पर रहे लेकिन बाद में जद (ध) ने भाजपा को सत्ता देने से मना कर दिया। इसके बाद भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा के आंदोलन के बाद जद (ध) ने बी एस येड्डियूरप्पा को मुख्यमंत्री बनवाया लेकिन सप्ताह भर बाद ही सरकार गिरा दी और उसके बाद 2008 में फिर से चुनाव हुआ।
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