scriptबसें नहीं हैं फिर भी मेट्रो की ओर नहीं जा रहे लोग,जानिए क्यों | There are no buses, yet people are not going towards the metro | Patrika News

बसें नहीं हैं फिर भी मेट्रो की ओर नहीं जा रहे लोग,जानिए क्यों

locationबैंगलोरPublished: Apr 10, 2021 09:02:33 pm

परिवहन कर्मियों की हड़ताल का ‘नम्मा मेट्रो’ को फायदा नहीं
‘स्मार्ट कार्ड’ बन रहा बाधा

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बेंगलूरु. वेतन वृध्दि संबंधी मांगों को लेकर परिवहन कर्मियों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी रही। निजी बस परिचालकों की ओर से ज्यादा किराया वसूलने की शिकायतों के बावजूद यात्री ‘नम्मा मेट्रो’ का रूख नहीं कर रहे हैं। दरअसल, इसमें सबसे बड़ी बाधा स्मार्ट कार्ड की अनिवार्यता है। मेट्रो से यात्रा करने के इच्छुक लोगों को काउंटर पर टिकट नहीं मिलेगा और उन्हें स्मार्ट कार्ड खरीदना होगा। यही वजह है कि लोग हलकान होने के बाद भी मेट्रो से दूर ही हैं।
यात्रियों की संख्या में अपेक्षाकृत इजाफा नहीं

परिवहन कर्मियों की हड़ताल के मद्देनजर यात्रियों की संख्या बढऩे का अनुमान लगाते हुए बीएमआरसीएल ने मेट्रो के फेरे 250 से बढ़ाकर 290 कर दिए। हर दस मिनट पर चलने वाली मेट्रो 4.5 मिनट पर चलने लगी लेकिन यात्रियों की संख्या में अपेक्षाकृत इजाफा नहीं हो पाया। पिछले महीने के आखिरी दिन मेट्रो में यात्रा करने वालों की संख्या 1.6 लाख के पास थी। वहीं हड़ताल वाले दिन गुरुवार को यह संख्या महज 1.7 लाख से कुछ ज्यादा रही।
एक यात्री रमेश ने कहा कि मेट्रो में यात्रा करने के लिए स्मार्ट कार्ड के साथ ही 150 रुपए की जरूरत होगी ऐसे में वह निजी बस में यात्रा करना बेहतर समझते हैं।
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40 फीसदी लोग काउंटर पर खरीदते थे टिकट

बता दें कि लॉकडाउन के पहले मेट्रो में यात्रा करनेवाले 40 प्रतिशत लोग स्टेशन पर नकद भुगतान करके टोकन खरीदकर यात्रा करते थे। सम्पर्क रहित यात्रा शुरू होने के बाद अब नए यात्री को 150 रुपए खर्च करने होंगे। इसमें से 50 रुपए कार्ड खरीदने के लिए, 50 रुपए यात्रा के लिए और 50 रुपए उसमें न्यूनतम बैलेंस रखने के लिए। जाहिर है, लोगों को यह सौदा महंगा लग रहा है।
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