बैंगलोर

मन-वचन-काया रूपी तीन फैक्ट्रियां हैं

धर्मचर्चा में बोले डॉ. समकित मुनि

बैंगलोरAug 05, 2020 / 05:01 pm

Yogesh Sharma

मन-वचन-काया रूपी तीन फैक्ट्रियां हैं

बेंगलूरु. अशोकनगर शूले जैन स्थानक में विराजित डॉ. समकित मुनि ने समकित की यात्रा के अंतर्गत बत्त्ीस शुभ योग संग्रह का अगला सूत्र ‘संवर’ पर कहा कि जीवन संवारे वह संवर है। जिन रास्तों से परेशानी आती है संवर उनको बंद कर देता है। बद्दुआ वाले मार्ग बंद कर देते हैं तो रात की नींद ***** नहीं होती। परेशानी के मार्ग खुले रहते हैं तब तक जीवन में रामराज हो नहीं पाएगा। मुनि ने कहा कि उन दरवाजों को बंद कर दो, जिन दरवाजों से परेशानी हमारे जीवन में आती है। जब संवर जीवन में घटित होता है तब जीवन संवरता है। मन- वचन- काया के उनमार्ग में जाने से रोक लेते हैं। तो जीवन संवर जाता है। मन-वचन-काया रूपी तीन फैक्ट्रियां हैं। इससे हम मालामाल भी बन सकते हैं कंगाल भी बन सकते हैं। सबसे बड़ी फैक्ट्री मन की फैक्ट्री है। कभी बंद नहीं होती। बड़ी फैक्ट्री को नफे में चलाने के लिए सजग रहना पड़ता है। थोड़ी सी लापरवाही नुकसान कर सकती है। मन की फैक्ट्री सुचारू रूप से चलाने का जिम्मा केवल मानव के पास है। मन की फैक्ट्री को फायदे में कैसे चलाना उसकी जानकारी देते हुए मुनि ने कहा मन को अशुभ नहीं शुभ रखें। जीवन में जो कभी सोचा नहीं वैसी प्रतिकूल परिस्थितियां भी सामने आ सकती हैं। ऐसी स्थिति में भी मन को शुभ में लगा कर रखना। प्रतिकूल स्थिति में भी जीवन को नंदनवन अमृत का महासागर समझे, ना कि जिंदगी को जहर का प्याला समझे। इससे फैक्ट्री नफे में चलेगी जिंदगी में कभी निराशा ना लाए, उत्साह से आगे बढ़े निराशा मन को निकम्मा बना देती है। हर परिस्थिति में मन को शुभ में लगाए रखें। मन निकम्मा बन जाता है तो व्यक्ति को पहले जिस काम में मजा आता था अब से वह सजा लगने लगेगा। किसी काम को बोझ समझकर करते हैं तो कार्य सुंदर ढंग से संपन्न नहीं होता। मन की फैक्ट्री को संभालना आ जाता है तो मुक्ति मंजिल दूर नहीं होती। संवर की साधना जीवन में महत्वपूर्ण है। संवर ऐसी रामबाण औषधि है जो कर्म बीमारी दूर करती है। जितना भी समय मिले संवर की आराधना करो परेशानियां कम होगी। यह जानकारी प्रचार-प्रसार चेयरमैन प्रेम कुमार कोठारी ने दी।

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