राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं: कांग्रेस
गठबंधन को ही देना होगा सरकार गठन का न्यौता

बेंगलूरु. राज्य में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस-जनता दल (ध) गठबंधन सरकार बनाने का दावा करने वाली कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल के पास इस गठबंधन को आमंत्रित करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस आशा करती है कि राज्यपाल संवैधानिक प्रावधानों और परिपाटी के मुताबिक गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा बहुमत के आंकड़े से दूर है लेकिन वह साजिश के तहत एसआर बोम्मई का हवाला देकर अपनी सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। देश और मीडिया को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। अगर चुनाव के बाद हुए गठबंधन के पास स्पष्ट बहुमत है तो राज्यपाल के पास उस गठबंधन को सरकार गठन के लिए आमंत्रित करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
कांग्रेस अपेक्षा करती है कि राज्यपाल संवैधानिक परंपराओं और परिपाटी के मुताबिक गठबंधन को आमंत्रित करेंगे। चुनाव के बाद गठबंधन को सरकार गठन के लिए सबसे पहले आमंत्रित करने में हाल के कई उदाहण है। पिछले साल मार्च में 40 सदस्यीय गोवा में 18 सीटों के साथ कांग्रेस बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन राज्यपाल ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को आमंत्रित किया। मार्च 2017 में 6 0 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के 28 विधायक जीते और भाजपा के 21 विधायक जीते। लेकिन, राज्यपाल ने चुनावी गठबंधन के आधार पर भाजपा नीत गठबंधन को सरकार बनाने कौ न्यौता दिया। मेघालय में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन सरकार बनाने के लिए भाजपा और उसके साथी दलों को बुलाया गया। सुरजेवाला ने वर्ष 1998 में तत्कालिन राष्ट्रपति केआर नारायणन द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने का भी उदाहरण दिया।
किंगमेकर नहीं, किंग बन गया जद (ध)
मतगणना से पहले तक जद (ध) को उम्ंमीद थी कि त्रिशंकु विधानसभा बनने की स्थिति में सत्ता की कुंजी उसके पास होगी लेकिन दोपहर होते-होते यह साफ हो चुका था कि किसी दल को बहुमत नहीं मिल रहा है और कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता नहीं मिलने देने की रणनीति के तहत जद (ध) को सरकार बनाने के लिए बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी जिसके कारण अचानक बदलते हालात में जद (ध) किंग के तौर पर उभर गया।
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