scriptआचार विचार व्यवहार में एकरूपता होनी चाहिए | There should be uniformity in practice of conduct | Patrika News

आचार विचार व्यवहार में एकरूपता होनी चाहिए

locationबैंगलोरPublished: Feb 25, 2020 03:45:29 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

कुंथूनाथ जैन संघ में धर्मसभा

आचार विचार व्यवहार में एकरूपता होनी चाहिए

आचार विचार व्यवहार में एकरूपता होनी चाहिए

बेंगलूरु. कुंथूनाथ जैन संघ श्रीनगर में आचार्य देवेंद्रसागर एवं मुनि महापद्मसागर की निश्रा में धर्मसभा का आयोजन किया गया। आचार्य देवेन्द्र सागर ने कहा कि मनुष्य जीवन के तीन स्तम्भ हैं। आचार, विचार, और व्यवहार। इसी के साथ विवेक भी आ जाए तो जीवन में फिर आनंद ही आनंद है। आचार, विचार और व्यवहार में विचार का महत्व अधिक है। क्योंकि अन्य दो बातें आचार और व्यवहार इसी विचार पर निर्भर करता है। यदि सद्विचार होगा तो आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति जीवन में होगी। यदि विचार कुत्सित हुआ तो आध्यात्मिक एवं भौतिक अवनति जीवन में होगी। ऋषि मुनियों, मनीषियों ने हमें हमेशा सद्विचार रूपी धरोहर दिया है। बुद्धि या ज्ञान का अर्थ जानने की शक्ति है। लेकिन उस शक्ति में सही और गलत में जो विभेद करना सिखा दे वही विवेक है। विवेक हमेशा शांति चाहता है और संतुष्ट रहना चाहता है, लेकिन हमेशा सत्य के साथ चलना चाहता है। बुद्धि से व्यक्ति कभी कभी सही गलत में भेद नहीं कर पाता है तथा विवेक के अभाव में गलत में पड़ जाता है।
आचार्य ने कहा कि आचरण में हम एक अच्छे रास्ते में मजबूती से चलना समझ सकते हैं, तभी एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है। यदि इन तीनों का मजबूती से ध्यान रखा जाए तो जीवन-पथ सरल हो जाता है। व्यक्तित्व का निर्माण आचरण से बहुत हद तक निर्भर करता है।
मनुष्य के व्यक्तित्व से उसके आचरण, व्यवहार तथा विचार का पता चल सकता है यदि थोड़ी बहुत सावधानी रखी जाए। केवल बोलने या चलने के ढंग से उसके व्यवहार तथा आचरण का पता नहीं चल सकता है। आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि आचार विचार के सम्बन्ध में भूमि की उर्वरता का पता बोए गए बीज से लगता है और व्यक्ति के आचार, विचार, व्यवहार से उसकी कुलीनता का पता चलता है। आचार, विचार, व्यवहार के प्रति पवित्रता होनी चाहिए। जिस कुल में जन्म लेते हैं, उस कुल की मर्यादा के अनुरूप आचार, विचार, व्यवहार करें। भीतर झांकें और देखें कि कुल की मर्यादाओं के प्रति कितने जागरूक हैं। आश्चर्य तो तब होता है व्यक्ति जिस कुल में जन्म लेता है, उसी की मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। बुराइयां व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर होती है, व्यक्तिगत बुराई चेतना की जागृति से जीती जा सकती है और सामाजिक बुराइयों के लिए समाज को संगठित होकर जीतनी होती है।अंत में उन्होने कहा कि आचरण विचार एवं व्यवहार में एकरूपता होनी चाहिए।

आठवें आचार्य कालूगुणी का जन्म दिवस मनाया
बेंंगलूरु. मुनि कमल कुमार मंगलवार को तेरापंथ सभा भवन विजयनगर पहुंचे। मुनि ने आठवें आचार्य कालू गणी के जन्म दिवस पर व्याख्यान दिया। मुनि ने कालू गणी के जन्म से लेकर आचार्य पद तक विभिन्न घटनाओं की समुचित व्याख्या गीतों के साथ कर वर्णन किया। मुनि ने सभी को अपनी प्रवचन शैली से प्रभावित किया। कार्यक्रम में लगभग 300 श्रावक उपस्थिति रहे।
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