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स्कूल इसलिए नहीं बताएंगे ‘प्रति छात्र खर्च’

locationबैंगलोरPublished: Dec 10, 2019 08:18:33 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

गैर अनुदानित निजी स्कूलों ने प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग को यह बताने से साफ मना कर दिया है कि आखिर वे हर बच्चे पर कितना खर्च करते हैं। एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स इन कर्नाटक ने विभाग की मांग को कठोर और अव्यावहारिक बताया है।

स्कूल इसलिए नहीं बताएंगे 'प्रति छात्र खर्च'

स्कूल इसलिए नहीं बताएंगे ‘प्रति छात्र खर्च’

– बताने के पक्ष में नहीं निजी स्कूल
– केएएमएस ने किया विरोध

बेंगलूरु.

प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग (Department of Primary and Secondary Education) ने गैर अनुदानित निजी स्कूलों से प्रति छात्र खर्च का ब्योरा मांगा है। एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) इससे नाखुश है। केएएमएस (KAMS) ने विभाग के प्रधान सचिव एसआर उमाशंकर को पत्र लिखकर इसका विरोध किया है और खर्च का ब्योरा देने में असमर्थता जताई है। विभाग के कदम को कठोर और अव्यावहारिक बताया है।

केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार (D. Shashikumar) ने बताया कि विभाग ने दिसंबर के अंत तक प्रति छात्र खर्च का विवरण मांगा है, जो संभव नहीं है। विभिन्न शिक्षा बोर्डों से संबद्ध गैर अनुदानित निजी स्कूल शुल्क निर्धारण के लिए स्वतंत्र हैं। शुल्क तय करना या तय शुल्क के मामलों में हस्तक्षेप शिक्षा विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। शिक्षा की गुणवत्ता के अनुसार निजी स्कूल प्रबंधन शुल्क निर्धारित कर सकते हैं।

शशिकुमार ने कहा कि केएएमएस शिक्षा विभाग के उस नियम का भी विरोध करता है, जिसके अनुसार टर्म शुल्क ट्यूशन शुल्क का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो और टर्म शुल्क में अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधि शुल्क भी शामिल हो।

उन्होंने कहा कि अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों पर खर्च ज्यादा होता है। इसका निर्णय अभिभावकों पर छोडऩा उचित होगा। विभाग वार्षिक शुल्क वृद्धि प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर रहा है। नए नियमों के अनुसार स्कूल वार्षिक शुल्क में 15 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि नहीं कर सकेंगे। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग पर निजी स्कूलों का करीब 1700 करोड़ रुपए बकाया है। शिक्षा का अधिकार (Right to Education – आरटीइ) प्रतिपूर्ति शुल्क का भुगतान लंबित है। जिसके कारण कई स्कूलों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शुल्क निर्धारण के नाम पर स्कूलों को परेशान किया तो केएएमएस को मजबूरन न्यायालय जाना पड़ेगा। लोक शिक्षण विभाग के अधिकारियों का कहना है स्कूल शुल्क नियमों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।

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