विधानसभा चुनावों के साए में इस बार लोक लुभावन हो सकता है बजट-सिंघवी
आम बजट 2022 से उम्मीदें
बैंगलोर
Published: January 19, 2022 07:57:32 am
योगेश शर्मा
बेंगलूरु. संसद में एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट पर इस बार भी कोरोना का साया रह सकता है। देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की झलक इस बजट में साफ दिखेगी वहींं ये बजट लोकलुभावन हो सकता है। केन्द्रीय बजट को लेकर बेंगलूरु के जाने माने चार्टर्ड अकाउंटेंट, कर विशेषज्ञ व उद्यमी एफ.आर.सिंघवी ने पत्रिका से विशेष बातचीत में वर्तमान काल को लेकर केन्द्रीय बजट से अपेक्षा पर अपने विचार साझा किए।
सिंघवी ने कहा कि कोविड ने धनवानों और वंचितों के बीच की खाई को और बढ़ा दिया है। एमएसएमई क्षेत्र, व्यापारियों और छोटे सेवा केंद्रों को बड़े उद्यमों, ई-कॉमर्स संस्थाओं द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है। प्रस्तावित श्रम सुधार और न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि को ठंडे बस्ते में रखा गया है और यह सुनिश्चित नहीं है कि यह कब लागू होगा। जीएसटी एक स्व-पुलिसिंग कानून होने के कारण कानून की अनुपालन में आसानी लाने के लिए था, जो अब तक कहीं नजर नहीं आता है।
सिंघवी ने कहा कि हमारे लिए 5 ट्रिलियन यूएसडी जीडीपी तक पहुंचने के लिए हमारे कारोबार और निर्यात को दोहरे अंकों में बढऩे की जरूरत है और साथ ही हमारे एमएसएमई और छोटे व्यापारियों को भी फलने-फूलने की जरूरत है। यह दुनिया भर के देशों द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के समान स्थानीयकरण के कारण निर्यात के अधिक कठिन होने के अवसर को ध्यान में रखते हुए प्राप्त किया जाना है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास करते समय हम कार्बन फुटप्रिंट को कम करके अपने पर्यावरण में सुधार करें।
इसलिए, हमारी नीतियों को जीएसटी दरों, अस्वीकरणों और इसके अनुपालन को कम करके और सुव्यवस्थित करके विकास के साथ जोड़ा जाना चाहिए। एमएसएमई के वित्तपोषण को आसान बनाया जाए और अन्य मामलों में उनका पोषण किया जाए। कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लाभ के लिए किए जाने वाले श्रम सुधार। उच्च मजदूरी सुनिश्चित करते हुए इसे उच्च उत्पादकता को बढ़ावा देना चाहिए जिससे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिए माल की लागत कम हो।
उपरोक्त सुझावों का पालन व्यक्तियों के लिए आयकर को कम करके और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए और भी अधिक करके व्यक्तिगत खपत को बढ़ावा देने वाली वृद्धि में किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नीतियों को बुनियादी ढांचे के विकास के तेजी से कार्यान्वयन में मदद करनी चाहिए। एक अन्य प्रमुख क्षेत्र त्वरित निर्णय के लिए न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता है। यह न केवल मुद्दों को हल करेगा और गति देगा। बल्कि नए मामलों में भारी कमी लाने में मदद करेगा। एक उदाहरण देने के लिए यदि एक कर चोरों को पकड़ा जाता है और थोड़े समय में दंडित किया जाता है तो यह अन्य अपराधियों मन में कानून तोडऩे के लिए भय पैदा करेगा। यदि जनहित में भूमि अधिग्रहण का निर्णय अल्प अवधि में पूरा हो जाता है तो सरकार की नीतियां अधिक प्रभावी हो जाएंगी और साथ ही मामलों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को नई प्रौद्योगिकियों के लिए और लंबी अवधि के लिए उच्च प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। डीमेट खातों और शेयरों के व्यापार में हालिया वृद्धि एक स्वागत योग्य बदलाव है और सरकार को छोटे निवेशकों के लिए आवास ऋण के समान कर छूट प्रदान करके प्रोत्साहित करना चाहिए।
देश के तेजी से विकास के लिए सरकार की मंशा संदेह में नहीं है। हालांकि, इसके क्रियान्वयन के लिए सरकार की मंशा समय रेखा, कार्यप्रणाली और लागत के लिहाज से एक चुनौती है। इसे विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के विकास या कानूनों के अधिनियमन के संबंध में युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है। श्रम कानून और जीएसटी कानूनों के संबंध में ऐसे ही दो उदाहरण हैं। देश भर में लंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के बारे में सभी जानते हैं। हमें नागरिकों के रूप में भी कानूनों का पालन करने, गुणवत्ता और लागत प्रतिस्पर्धी वस्तुओं का उत्पादन करने और सभी समावेशी विकास की अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की जरूरत है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार की तमाम कमियों के बावजूद हम दुनिया की सबसे अधिक बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। हम सब कुछ सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं और सुशासन का पालन किए बिना केवल खुद को समृद्ध करने के लिए देख सकते हैं।

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