प्रशिक्षित हाथी और श्वान भी
वन विभाग की 150 लोगों की टीम बाघ को पकडऩे में लगी है। टीम में शार्प शूटरों सहित प्रशिक्षित हाथी और कुत्ते भी शामिल हैं। विभिन्न स्थानों पर पेड़ों से कुल छह मवेशी बांधे गए हैं। लेकिन, बाघ शिकार से दूर है।
बेहोश करना भी टेढ़ी खीर
इस बीच, वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने विभाग पर वन्यजीव नियमों की अनदेखी के आरोप भी लगाए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ जोसफ हूवर ने बताया कि कॉफी की खेती वाले पहाड़ी क्षेत्र में बाघ को पकडऩा तो दूर बेहोश करना भी टेढ़ी खीर है। लेकिन, टीम से गलतियां भी खूब हुई हैं। बाघ को पकडऩे के दो मौके हाथ से निकल गए। उन्होंने बताया कि आठ मार्च को बाघ टीम के सामने था। लेकिन, पशु चिकित्सक बाघ पर निशाना साधने में असफल रहे। बाघ को ट्रेंक्यूलाइज नहीं किया जा सका।
इस घटना के बाद भी बाघ ने कई मवेशियों को शिकार बनाया है। 11 मार्च को बाघ फिर दिखा। इस बार भी टीम के हाथ कुछ नहीं लगा। बाघ ने एक मवेशी का शिकार किया और कॉफी के एक झाड़ से आधा खाया हुआ शव बरामद हुआ जिसके बाद टीम के कुछ सदस्यों ने शव को बाहर निकाला और एक जगह पर रख बाघ के लौटने का इंतजार करने लगे। ऐसा करना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मानक संचालन प्रक्रिया का उल्लंघन है।
इसके बाद से बाघ पकड़ में नहीं आया है। जानकारों के मुताबक शिकार के शव को एक बार छोडऩे के बाद बाघ कभी नहीं लौटता है। विभाग ने निजी शूटरों को अभियान में शामिल कर रखा है। यह भी एनटीसीए के नियमों के खिलाफ है।
टीम के पहुंचने से पहले ही बाघ फरार
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज किया गया है। अलग-अलग कई टीमें बाघ को पकडऩे में लगी हैं। कैमरा ट्रैप का भी इस्तेमाल हो रहा है। नेम्मले गांव में बाघ के पग मार्क मिले थे। लेकिन, टीम के पहुंचने से पहले ही बाघ फरार हो गया। बेलूर, थावलगेरी, टी. शेट्टीगिरी और श्रीमंगला में भी कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी है।
…तो यह स्थिति नहीं आती
कोडुगू रक्षणा वेदिके के अध्यक्ष पवन पेम्मैया के अनुसार वन विभाग ने समय रहते कार्रवाई नहीं की। कॉफी बागानों में काम करने वाले लोग कब तक बाघ के डर से घरों में बैठे रहेंगे? क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
बाघ को पकडऩा प्राथमिकता
नागरहोले टाइगर रिजर्व के निदेशक डी महेश कुमार ने कहा कि अभियान के दौरान एनटीसीए के प्रोटोकॉल अथवा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं हुआ है। बाघ को पकडऩा प्राथमिकता है। स्थिति अनियंत्रित होने के बाद ही बाघ को मारने का विकल्प खुला है। बाघ को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। जरूरत पडऩे पर इसका पालन होगा। निजी शूटरों को टीम में शामिल करने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर दो शूटरों की नियुक्ति की है। बाघ को पकडऩे या मारने के लिए अभियान में शामिल बंदूक को लेकर उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार बंदूक की जानकारी नहीं दी जा सकती है।