वन विभाग (Forest Department) ने बुधवार से व्यापक अभियान चला रखा था। करीब 150 वन कर्मचारी, छह हाथी, छह पशु चिकित्सक और स्निफर डॉग राणा सहित सोलिगा आदिवासियों ने बाघ को पकडऩे में अहम भूमिका निभाई। करीब 200 कैमरा ट्रैप बाघ की तस्वीरें लेने के लिए लगाए गए थे।
चाहता था इलाके पर कब्जा
वन विभाग के अनुमान के अनुसार इलाके पर कब्जा जमाने के लिए बाघ कबिनी, नागरहोले और अंतरसंते रेंज से भटकते हुए कुंडुकेरे और गोपालस्वामी बेट्टा रेंज पहुंचा। बीच-बीच में वह बंडीपुर के मोल्लेहोले रेंज में चहलकदमी करता था।पहली बार श्वान का इस्तेमाल
बाघ ने एक हाथी (Elephant) के बच्चे का शिकार किया था। मगुविनाहल्ली गांव के समीप एक हाथी के बच्चे का क्षत-विक्षत शव शनिवार सुबह बरामद हुआ था, जो बाघ (Tiger) को पकडऩे में एक अहम कड़ी साबित हुआ। बंडीपुर वन शिविर (Bandipur Forest Camp) में रह रहे श्वान (Dog) राणा को शव के पास लाया गया। उसने शव और आस-पास के स्थान को सूंघा। जिसके बाद राणा ने खोजी दल को बाघ के आसपास तक पहुंचाया।
बंडीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक टी. बालचंद्र ने बताया कि आम तौर पर स्निफर डॉग (Sniffer Dog) का इस्तेमाल वन्यजीव संबंधित आपराधिक मामलों को सुलझाने और शिकारियों (Poachers) को पकडऩे के लिए किया जाता है। वन विभाग ने पहली बार किसी स्निफर डॉग का इस्तेमाल बाघ को पकडऩे में किया है।