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बैंगलोर

समान विचार वाले विधायकों की बैठक टली,कुमारस्वामी को राहत

कांग्रेस विधायक एस टी सोमशेखर की ओर से समान विचार वाले विधायकों की मंगलवार को बुलाई गई बैठक फिलहाल टाल दी गई है।

बैंगलोरApr 30, 2019 / 11:44 pm

शंकर शर्मा

समान विचार वाले विधायकों की बैठक टली,कुमारस्वामी को राहत

समान विचार वाले विधायकों की बैठक टली,कुमारस्वामी को राहत

बेंगलूरु. कांग्रेस विधायक एस टी सोमशेखर की ओर से समान विचार वाले विधायकों की मंगलवार को बुलाई गई बैठक फिलहाल टाल दी गई है। कुंदगोल और चिंचोली विधानसभा उप चुनावों की तैयारियों का हवाला देते हुए बैठक टाली गई है। बैठक टलना गठबंधन सरकार की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के लिए राहत भरी खबर है।


राज्य के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की खातिर समान विचार वाले विधायकों की बैठक के लिए सोमशेखर की ओर से भेजे गए आमंत्रण में कहा गया था कि राज्य की राजनीतिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। सोमशेखर के इस आमंत्रण पत्र के बाद राज्य के राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई थी। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद-एस गठबंधन के भीतर चिंताओं और कांग्रेस में एक बार फिर असंतोष उभरने के बीच सोमशेखर का पत्र सामने आया था।


इस बीच सोमशेखर ने सोमवार को विधायकों को भेजे संदेश में कहा कि अगली तारीख के बारे में सूचित कर दिया जाएगा। सोमशेखर ने यह बैठक ऐसे समय में बुलाई थी जब कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जारकीहोली अपने करीबी विधायकों के साथ पार्टी छोडऩे की धमकी दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक इसलिए टाली गई क्योंकि पार्टी ने अपने सारे विधायकों से चिंचोली और कुंदगोल उप-चुनावों की तैयारी में जुटने को कहा है। कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने भी कथित तौर पर सोमशेखर एवं उनके सहयोगियों से कहा है कि वे बैठक टाल दें, क्योंकि इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा।


माना जाता है कि यशवंतपुर के विधायक सोमशेखर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के कार्य करने के तरीके से नाराज बताए जाते हैं। उन्होंने मैसूरु क्षेत्र के उन तमाम विधायकों को आमंत्रित किया था जो सरकार से नाखुश हैं। मैसूरु क्षेत्र के विधायकों की शिकायत है कि कुमारस्वामी उनकी अनदेखी कर रहे हैं और उनके क्षेत्र में विकास कार्य ठप्प पड़े हुए हैं। उनके अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही उन्हें नजरअंदाज किया जाता है और जद-एस नेताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

कई कांग्रेस विधायक जिनकी नियुक्ति बोर्ड या निगमों के अध्यक्ष पद पर की गई है अथवा जिन्हें संसदीय सचिव बनाया गया है वे भी कुमारस्वामी से नाखुश हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के बार-बार हस्तक्षेप से उन्हें अपनी जिम्मेदारियां निभाने की पूरी छूट नहीं मिल रही। नाराज विधायकों ने प्रदेश के पार्टी नेताओं से बार-बार शिकायत की और पार्टी हित में इन मुद्दों को सार्वजिनक तौर पर उठाने की मांग भी की। हालांकि, प्रदेश के नेताओं ने विधायकों से यह कहकर मामले को टाल दिया कि अभी लोकसभा चुनावों तक धैर्य रखें।


सूत्रों के मुताबिक भले ही समान विचार वाले विधायकों की बैठक फिलहाल उपचुनावों के मद्देनजर टाल दी गई है लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ है। सोमशेखर को पार्टी का परोक्ष समर्थन हासिल है। इसे गठबंधन समन्वय समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की गहरी चाल के रूप में देखा जा रहा है।

सिद्धरामय्या ने गठबंधन साझीदार जद-एस को पसोपेश में डाले रखने की रणनीति अपनाए हुए हंै। सोमशेखर और बैठक में शामिल होने वाले समान विचार वाले विधायक सिद्धरामय्या के बेहद करीबी हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि सिद्धरामय्या की महात्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की है। वे बार-बार इसका जिक्र भी करते हैं। अपने करीबियों द्वारा बार-बार असंतोष की बात उठवाकर वे अपनी ताकत और अपने प्रति विधायकों का समर्थन दिखाते रहते हैं।

बैठक रद्द करने को कांग्रेस पर दबाव डाला गया: सोमशेखर
विधायक एसटी सोमशेखर ने कहा कि लोकसभा चुनाव प्रचार के कारण मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने काफी भागदौड़ की थी। इसलिए मुख्यमंत्री को किसी रिसोर्टस में आराम फरमाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहले ही थके हुए मुख्यमंत्री को अधिक तकलीफ न हो इसलिए उन्होंने सोमवार को समान विचारधारा वाले विधायकों के साथ होने वाली प्रस्तावित बैठक निरस्त करने का फैसला किया है। राज्य के 154 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों में पेयजल तथा मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध नहीं होने की शिकायतें मिल रही है।

ऐसी ज्वलंत समस्याओं पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए उन्होंने विधायकों की बैठक बुलाई थी, लेकिन जानबूझ कर इस बैठक को मुख्यमंत्री के खिलाफ होने का भ्रामक प्रचार कर बैठक निरस्त करने के लिए कांग्रेस पर दबाव लाया गया। इस बैठक का आयोजन किसी को ब्लैकमेल करने के लिए नहीं किया गया था। क्या राज्य के विधायकों को सूखे जैसी समस्या पर चिंतन-मंथन करने का अधिकार नहीं है?

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