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मानसून का समय पर आना खेती के लिए वरदान बना

locationबैंगलोरPublished: Jun 24, 2018 06:36:56 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

राज्य के कई जिलों में समय के पूर्व शुरू हुई बुआई

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मानसून का समय पर आना खेती के लिए वरदान बना

बेंगलूरु. दक्षिण पश्चिम मानसून के राज्य में सक्रिय होने के साथ ही किसानों ने खेती की गतिविधियां तेज कर दी हैं। हालांकि राज्य के अलग अलग हिस्सों में भिन्न स्थिति है। बावजूद इसके मानसून पूर्व की हुई अच्छी बारिश का असर अब तक देखा जा रहा है और फसलों की बुआई की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उत्तर कर्नाटक के बेलगावी में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अच्छी बारिश नहीं होने से जिले में खेतीबाड़ी प्रभावित हुई थी। हालंाकि इस बार मई और जून के पहले सप्ताह में जिले में औसत से ज्यादा बारिश हुई, जिससे किसानों को समय से खरीफ फसलों की बुआई शुरू करने का मौका मिला है। जिले के अधिकांश तालुकों में खेती मुख्यत: बारिश पर निर्भर है और इस बार अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। गन्ना और धान के अतिरिक्त जिले में बड़े पैमाने पर बागवानी से संबंधित खेती होती है। यहां तक कि पड़ोसी राज्य गोवा सब्जी, दूध, पोल्ट्री सामग्री आदि के लिए मुख्य रूप से बेलगावी पर निर्भर है।
बेलगावी में चार लाख हेक्टेयर में हुई बुआई
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिले में खरीफ सत्र में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 4 लाख हेक्टेयर में भूमि हो चुकी है। इसमें दो लाख हेक्टेयर पर गन्ने की बुआई हुई है, जबकि 43 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने धान की बुआई की है। वहीं 69 हजार हेक्टेयर में सोया, 25 हजार हेक्टेयर में मक्का और 16 हजार हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है। कृषि विभाग ने कहा है कि जिले में बीज और उर्वरक की कोई कमी नहीं है। जिले के 124 बीज विकतण केन्द्रों पर 45 हजार क्विंटल बीज का भंडार मौजूद है।
मैसूरु में बुआई अंतिम चरण में
मैसूरु में कुल 3.71 लाख हेक्टेयर खेती वाली भूमि है। इसमें 2.5 लाख हेक्टेयर वर्षा आधारित है, जबकि शेष भूमि सिंचाई योग्य है। जिले में गन्ना और धान के अतिरिक्त ज्वार, दाल और अनाज की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसके अतिरिक्त तम्बाकू उत्पादन में मैसूरु अग्रणी जिला है। कृषि विभाग के अनुसार हुंसूर, पेरियापटणा और एचडी कोटे तालुकों में बुआई गतिविधियां अपने अंतिम चरण में हैं। इस वर्ष 1 लाख 94 हजार 300 हेक्टेयर भूमि पर ज्वार, रागी और धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है।
42,600 हेक्टेयर में मक्का, 40,540 हेक्टेयर में रागी, 71,680 हेक्टेयर में दाल, 46,780 हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं तम्बाकू के लिए 63700 हेक्टेयर निर्धारित किया गया था लेकिन विभाग के अनुसार जिले में एक पखवाड़ा पूर्व ही तम्बाकू बुआई का आंकड़ा 65 हजार हेक्टेयर को पार कर
गया है।

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