कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के शामिल नहीं लेने के कारण सत्तारुढ़ गठबंधन के लिए असहज स्थिति बन गई है। हालांकि, दोनों दलों के नेता मतभेद की बातों को खारिज कर रहे हैं। दरअसल, विपक्ष में रहते हुए कुमारस्वामी ने टीपू जयंती के आयोजन का विरोध किया था लेकिन अब कांग्रेस के साथ गठबंधन होने के कारण जद-एस इसका विरोध नहीं कर रहा है। भाजपा के विरोध के बावजूद कुछ दिन पहले ही कुमारस्वामी ने टीपू जयंती के आयोजन को हरी झंडी दी थी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही अपनी अन्य व्यस्तताओं के बारे मेें सूचित करते हुए आमंत्रण पत्र में अपना नाम नहीं छापने के लिए कहा था। दिनेश ने कहा कि अगर उनका आमंत्रण पत्र में छपा होता और वे शामिल नहीं होते तो फिर कई तरह की चर्चाएं होती। दिनेश ने कहा कि इसलिए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपमुख्यमंत्री और जद-एस के मंत्री कार्यक्रम में भाग लेंगे। दिनेश कहा कि टीपू जयंती के आयोजन को लेकर गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है। कांग्रेस और जद-एस की राय एक जैसी है।
उधर, जद-एस के वरिष्ठ नेता व सहकारिता मंत्री बंडप्पा काशमपुर ने ने कहा कि पार्टी में कुमारस्वामी के समारोह में शामिल होने को लेकर कोई मतभेद नहीं है। समारोह में जद-एस के मंत्री शामिल होंगे। जद-एस कार्यालय में १५-२० वर्ष से टीपू जयंती मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि वे बीदर जिले मेें आयोजित समारोह में शिरकत करेंगे।
उन्होंने कहा कि बेंगलूरु के मुख्य समारोह में पार्टी के मंत्री वेंकटराव नाडगौड़ा शिरकत करेंगे। उधर भाजपा का कहना है कि विवाद से बचने के लिए कुमारस्वामी ने स्वास्थ्य कारणों से समारोह से दूर रहने का निर्णय लिया है।