तीर्थंकर बदलते हैं भक्तों का जीवन
डॉ. समकित मुनि का प्रवचन

बेंगलूरु. नेलमंगला से आगे विहार करते हुए श्रमण संघीय डॉ. समकित मुनि ने प्रवचन में कहा कि जगत के जीव में जो अंधकार व्याप्त है, जिसके कारण से जीव संसार में परिभ्रमण करता है, उस अंधकार को खत्म करने में जिनभास्कर (तीर्थंकर) सक्षम हैं। तीर्थंकर परमात्मा जीवों में सकारात्मक शक्ति का संचार करते हैं। जिस कारण से व्यक्तिका पाप के प्रति आकर्षण कम (खत्म) हो जाता है। पहले जिस शक्ति से व्यक्ति पाप करता था परमात्मा की शरण पाने के बाद वह व्यक्ति उस शक्ति का उपयोग धर्म की आराधना में करता है। पाप की ताकत इंसान को पशु बना देती है।
तीर्थंकर केवल बाहरी परिवर्तन नहीं करते बल्कि भक्त का पूर्ण जीवन बदल देते हैं। संसारी सज्जन को शैतान बनाने में लगे रहते हैं परंतु तीर्थंकर मारने वालों को भी भगवान बना देते हैें।
मुनि ने कहा कि बेईमानी सज्जन को शैतान बनने के लिए मजबूर करती है। फिर वह सज्जन से बना शैतान न जाने कितने लोगों के लिए कहर बन कर टूटता है। किसी के साथ अच्छा कार्य करने पर उसका सत्कार होना चाहिए।
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