विभाग ने एक बयान जारी कर अपनी उपलब्धियां गिनाईं। बयान के अनुसार प्रदेश एंटी तंबाकू सेल (एसएटीसी) ने वर्ष २०१६-१७ में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) के उल्लंघन के १ लाख ४६ हजार ८३२ मामले दर्ज किए। जो कि इस अवधि में देश भर में सबसे ज्यादा है।
स्कूली बच्चों को तंबाकू व इसके उत्पादों से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रदेश के ११४४ स्कूलों में विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। २,७१,७३६ विद्यार्थियों को कार्यक्रम में शामिल किया गया।
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत १४ जिलों में तंबाकू मुक्ति केन्द्र्र स्थापित किए गए। अन्य चार जिले में भी केन्द्र प्रारंभ करने की योजना है। काम जारी है। जुलाई २०१६ से अगस्त २०१७ के बीच ७९५२ तंबाकू उपभोक्ताओं की काउंसलिंग की गई।
प्रशासन पर दबाव
नाम नहीं छापने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आदेश को अब तक लागू नहीं किया गया है। अधिकारी ये भी बताते हैं कि तंबाकू खेती की बात करें तो आंध्र प्रदेश के बाद देश में दूसरा स्थान कर्नाटक को प्राप्त है। तंबाकू उद्योग, लॉबी व कंपनियों की ओर से प्रशासन पर दबाव है।
दुकानदारों को निर्देश नहीं मिले, कोई जानकारी नहीं
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल राव के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने अपने बयान में गत वर्ष ११ सितम्बर से तंबाकू उत्पादों की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का दावा किया है, लेकिन जमीनी हकीकत हर गली में दावों की पोल खोल रही है। ज्यादातर दुकानदारों का कहना है कि उन्हें न तो इस बात की जानकारी है और न ही प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी तरह के निर्देश आए हैं। सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान नहीं करने का नियम भी धुआं-धुआं हो गया है।
फैक्ट फाइल
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण २००९-२०१० के अनुसार प्रदेश के २८.२ फीसदी वयस्कों को तंबाकू की लत है। इनमें ३९.८ फीसदी पुरुष और १६.३ फीसदी महिलाएं हैं।
कार्य स्थल पर ४२ फीसदी और सार्वजनिक स्थानों पर ३७.२ फीसदी लोग पैसिव स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं।
१९.४ फीसदी लोगों को धुआं रहित तंबाकू की लत है। इनमें २२.७ फीसदी पुरुष और १६ फीसदी महिलाएं हैं।