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भोजन में भी कई कार्सिनोजेन्स

locationबैंगलोरPublished: Feb 04, 2023 11:34:26 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– प्रतिरोधक क्षमता पर हमला कर रहे केमिकल वाले खाद्य पदार्थ

cancer : भोजन में भी कई कार्सिनोजेन्स

cancer : भोजन में भी कई कार्सिनोजेन्स

स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के बावजूद कई लोग cancer के शिकार हो रहे हैं। Tobacco के अलावा दुर्भाग्य से हमारे भोजन में भी कई कार्सिनोजेन्स हैं। पपीता, केला, टमाटर, आम (Papaya, Banana, Tomato, Mango) आदि को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल आम है। कैल्शियम कार्बाइड (calcium carbide) नमी के साथ मिलते ही acetylene gas छोड़ता है, जिससे गर्मी पाकर कोई भी फल पकने लगता है। ऐसिटिलीन गैस का इस्तेमाल लोहा काटने या लोहे में जोड़ लगाने के दौरान welding में किया जाता है।

फलों के रंग ग्राहक को करते हैं आकर्षित

कैंसर रोग विशेषज्ञों के अनुसार कई फलों और विशेषकर हरी सब्जियों में कार्सिनोजेनिक यानि कैंसर कारक (green vegetables and cancer) पदार्थ की मात्रा स्तर से कई गुना ज्यादा मिलने की बात सामने आती रहती है। लेड, निकिल, कॉपर और कैडमियम सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। केमिकल वाले पदार्थ इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) पर गहरा प्रभाव डालते हैं। भंडारण के तरीके पर्याप्त प्रभावी नहीं होने के कारण फलों और सब्जियों को लंबे समय तक संग्रहित नहीं किया जा सकता। उन्हें तब काटा जाता है जब वे कच्चे होते हैं और कैल्शियम कार्बाइड और एथिलीन जैसे डी-ग्रीनिंग पकने वाले एजेंटों का प्रयोग होता है। ये फलों को रंगीन बना कर ग्राहक को आकर्षित करते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी मानता है कि केमिकल से पके फलों और अन्य सब्जियों के सेवन से कैंसर के मामले बढ़े हैं। बहुत अधिक प्रॉसेस्ड और पैक्ड फूड का सेवन भी कई तरह के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

खाद्य उत्पादों की हो नियमित रैंडम जांच

एचसीजी सेंटर फॉर एकेडमिक रिसर्च के डीन व ओरल कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. यूएस विशाल राव के अनुसार हर माह 100 खाद्य उत्पादों की रैंडम जांच होनी चाहिए। कीटनाशक अधिनियम 1968 में संशोधन कर इसे मजबूती से लागू करने की जरूरत है। डॉ. राव ने बताया कि परंपरागत रूप से खाद्य उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित और खाने योग्य रखने के लिए प्रिजर्वेटिव्स का उपयोग होता है। अब सिंथेटिक प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल होता है, जो हानिकारक हो सकते हैं।

मोटापा कैंसर का मुख्य जोखिम कारक

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. नीति रायजादा ने बताया कि फिजी ड्रिंक्स, शुगरी सीरियल्स, रेडी टू ईट मील, पैकेज्ड बेक्ड गुड्स आदि भी कई तरह के कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर आदि होने की संभावनाएं बढ़ा सकते हैं। ultra-processed food products में बहुत अधिक कैलोरी, सॉल्ट, शुगर, सैचुरेटेड फैट्स (Calories, Salt, Sugar, Saturated Fats) आदि होते हैं। ये सभी मोटापा का कारण (Obesity is the main risk factor for cancer) बनते हैं और मोटापा कैंसर का मुख्य जोखिम कारक होता है।

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