चंद्रयान-2 के टीएमसी-2 कैमरे से थ्री-डी मानचित्रण का काम शुरू, चंद्रमा पर स्टेशन स्थापित करने, रहन-सहन के लिए लिहाज से अहम
Chandrayaan-2: चांद पर अरबों वर्ष पूर्व पिघले पदार्थ के प्रवाह की मिलेगी जानकारी!
बेंगलूरु. देश के दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के जरिए चंद्रमा के त्रि-आयामी (थ्री-डी) मानचित्रण का काम शुरू हो गया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भारतीय मिशन से चंद्रमा के मानचित्रण के साथ-साथ सतह की बनावट और सतह के भीतर लावा नालिकाओं का पता चलेगा जो चांद पर स्टेशन स्थापित करने अथवा रहन-सहन के लिहाज से काफी अहम होंगे। दरअसल, चंद्रयान-2 के आर्बिटर पर एक अत्यंत उच्च विभेदन का कैमरा लगा है। यह काफी शक्तिशाली है। इसकी सहायता से चंद्रमा की सतह के विभिन्न स्थलों का त्रि-आयामी (थ्री-डी) में मानचित्रण किया जाना है जो इसकी सतह की रूप रेखा और खनिज संबंधी अन्वेषण में बहुत उपयुक्त होगा। यह 0.5 से 0.8 माइक्रोन के भीतर काम करता है जो वर्णक्रम के दर्शनीय हिस्से में पड़ता है। टीएमसी-2 कैमरे की विभेदन क्षमता 5 मीटर की है और एक बार में मापा गया क्षेत्र 20 किलोमीटर का है।
लावा नालिकाओं का भी होगा अध्ययनभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने टीएमसी-2 कैमरे द्वारा ली गई कुछ तस्वीरें इसरो ने साझा की हैं। यह तस्वीरें स्टीरियो ट्रिपलेट के रूप में है जिनसे किसी स्थल विशेष का तीन दिशाओं में मानचित्रण किया जा सकता है। यानी, लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई में। इन तस्वीरों से चंद्रमा की सतह की बनावट का एक वास्तविक जायजा मिलता है। इसमें शामिल हैं जगह-जगह पर छोटे-बड़े क्रेटर। इस मानचित्रण के जरिए लावा नालिकाओं का पता चलेगा जो सतह के भीतर हैं और भविष्य में चंद्रमा पर स्टेशन बनाने एवं रहन-सहन के लिहाज से बहुत उपयोगी सिद्ध होंगी। चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास पर पड़ेगी नजर इन तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर झुर्रीदार पर्वतमालाओं को भी देखा जा सकता है। उल्का आघातों की ज्यामिति, विभिन्न रुपकों के आकार व इनका वितरण, इनकी आयु, सतह के पदार्थ की प्रकाश के परावर्तन की क्षमता आदि जानकारियां भी इन तस्वीरों से मिलती हैं। इन तमाम जानकारियों के साथ टीएमसी-2 कैमरे द्वारा किए गए मानचित्रण से चंद्रमा पर अरबों वर्ष पूर्व पिघले पदार्थ के प्रवाह के संकेतों का अध्ययन भी हो सकेगा। यह सब जानकारियां एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा हैं जिसमें हम चंद्रमा के निर्माण और विकास को बेहतर और अधिक स्पष्ट तरीके से समझ सकते हैं। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 का आॢबटर 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा जिसे लगभग 100 किमी ऊंची गोलाकार कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। तब से इसके सभी उपकरण सुचारू रूप से काम कर हे हैं। जिनसे चंद्रमा की महत्वपूर्ण जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों को मिल रही है।