बैंगलोर

आइटी सिटी पर घटेगा यातायात का दबाव, सरकार ने मंजूर किए 4500 करोड़

पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना पुनर्जीवित : 1800 एकड़ भूमि होगी अवाप्त
12 साल से लंबित थी परियोजना, निजी-सरकारी भागीदारी के तहत होगा निर्माण

बैंगलोरNov 20, 2018 / 08:18 pm

Ram Naresh Gautam

आइटी सिटी पर घटेगा यातायात का दबाव, सरकार ने मंजूर किए 4500 करोड़

बेंगलूरु. राजधानी और आसपास के इलाकों में बढ़ते यातायात दबाव को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पेरिफेरल रिंग रोड (पीआरआर) योजना को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। पिछले 12 साल से धन के अभाव में यह योजना लंबित पड़ी है।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद विधि व संसदीय कार्य मंत्री कृष्णा बैरेगौड़ा ने कहा कि सरकार ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने और तेजी से काम पूरा करने के लिए आवश्यक धन जारी करने का निर्णय लिया है।
इस परियोजना के लिए भूमि अवाप्ति एक बड़ी समस्या रही है और सरकार ने अब भूमि अवाप्ति का पूरा खर्च वहन करने का निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल ने 1810 एकड़ भूमि की अवाप्ति के लिए 4500 करोड़ रुपए जारी करने की स्वीकृत दी है।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना बेंगलूरु शहर में यातायात की समस्या को दूर करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। निजी-सरकारी भागीदारी वाली इस परियोजना के संबंध में 2006 में ही अधिसूचना जारी कर दी गई थी लेकिन इसके लिए भूमि अधिग्रहण की भारी लागत के चलते इसका क्रियान्वयन नहीं हो पाया।
पेरिफेरल रिंग रोड के लिए 65 किमी लंबी और 75 मीटर चौड़ी कुल 1810 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होगा। परियोजना पर 17000 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।

गौड़ा ने कहा कि इस परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी बेंगलूरु विकास प्राधिकरण की होगी और प्राधिकरण लागत घटाने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है।
इसे एलिवेटेड कॉरिडोरअथवा भूतल सड़क के तौर पर निर्मित किए जाने के बारे में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

गौड़ा ने कहा कि एक्प्रेस हाई-वे का निर्माण समस्या नहीं है लेकिन भूमि अधिग्रहण करना बड़ी चुनौती है।
निजी क्षेत्र की ओर से विकसित शहर के पास विकासित नाइस कॉरिडोर होसूर रोड से तुमकूरु रोड को जोड़ता है। बाकी बचे हिस्से को सरकार पूरा करेगी ताकि शहर के चारों छोड़ एक-दूसरे से जुड़ सकें।
भूमि अधिग्रहण का खर्च सरकार वहन करेगी जबकि इसका निर्माण निजी-सरकारी भागीदारी के तहत किया जाएगा। गौड़ा ने कहा कि इस पीआरआर परियोजना के पूरा होने के बाद शहर के अंदर के सड़कों पर यातायात का भारी काफी हद तक कम हो जाएगा क्योंकि बाहरी इलाके आपस में जुड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि नाइस रोड पर नाइस कंपनी टोल वसूली करेगी वहीं दूसरी तरफ पीआरआर के लिए अलग से टोल वसूली केंद्र बनेंंगे। पीआरआर होसूर रोड, मैसूरु रोड, तुमकूरु रोड, बल्लारी रोड तथा ओल्ड मद्रास रोड को आपस में जोड़ेगी।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि यह परियोजना बारह साल से लंबित थी और अपने पहले संक्षिप्त कार्यकाल में वे इसे पूरा नहीं कर पाए थे।

इतने साल तक लंबित रहने के कारण परियोजना की लागत 3800 करोड़ से बढ़कर 17 हजार करोड़ रुपए हो चुकी है।
अब मंत्रिमंडल ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है और धन जारी होने के साथ ही भूमि अधिग्रहण का काम भी शुरू हो जाएगा।

 

जयदेवा अस्पताल में बढ़ेंगे गरीबों के लिए 1150 बिस्तर
गौड़ा ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में गरीब रोगियों का उपचार करने में अग्रणी बेंगलूरु के जयदेवा हृदय रोग अस्पताल में बिस्तर क्षमता को 1,150 बिस्तर की अतिरिक्त क्षमता से बढ़ाने का निर्णय किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस पूरे काम पर लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें से आधी रकम राज्य सरकार देगी, जबकि शेष 22.5 करोड़ रुपए की भरपाई जयदेवा अस्पताल खुद करेगा।
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