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बैंगलोर

एंबुलेंस को रास्ता देगा ट्रैफिक सिग्नल

– सेंसर युक्त सिग्नल जल्द, 165 स्थान चिह्नित- डेढ़ लाख में से 34 हजार से ज्यादा मौतें कर्नाटक में- अच्छी सड़कों के साथ-साथ ट्रैफिक सेंस भी जरूरी- विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस पर निम्हांस ने किया जागरूक

बैंगलोरMar 21, 2023 / 06:38 pm

Nikhil Kumar

एंबुलेंस को रास्ता देगा ट्रैफिक सिग्नल

एंबुलेंस को रास्ता देगा ट्रैफिक सिग्नल

कई बार दूसरों की गलतियों के कारण भी हम सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। गोल्डन ऑवर में घायल व्यक्ति या किसी अन्य मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसके बचने या नि:शक्त नहीं होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। एंबुलेंस का जाम में फंसना आम बात है। इससे निपटने के लिए यातायात विभाग सेंसर वाली ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाएगा। पहले चरण में 165 सिग्नल पर यह व्यवस्था होगी। एंबुलेंस sensor की 200 मीटर की रेंज में आते ही ट्रैफिक सिग्नल को हरा कर देगा। यह पश्चिमी देशों में प्रचलित है। अब बेंगलूरु भी इसे अपनाने जा रहा है। हालांकि भारतीय परिस्थितियों में सड़क की क्षमता से कई गुना ज्यादा वाहन हैं। ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल बहुत कठिन हो जाता है।

यह बातें विशेष पुलिय आयुक्त (यातायात) डॉ. एमए सलीम (Dr. MA Saleem) ने कही। वे सोमवार को विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस (world head injury awareness day) पर राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans) सभागर में निम्हांस की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

रिंग रोड खुलते ही बढ़ा मौतों का आंकड़ा

दो दशक पहले निर्मित बाहरी रिंग रोड का उदहारण देते हुए डॉ. सलीम ने कहा कि रिंग रोड के बनने से पहले साल भर में सड़क हादसों में 16 या कम मौतें होती थीं। लेकिन, रिंग रोड बनते ही वार्षिक मौतों की संख्या करीब 250 पहुंच गई। उन्होंने Bengaluru-Mysuru Expressway का भी जिक्र किया।

जाम से कम हादसे

अच्छे नियमन या अच्छे प्रवर्तन के कारण नहीं बल्कि ट्रैफिक जाम (traffic jam) के कारण अन्य शहरों की तुलना में बेंगलूरु में कम दुर्घटनाएं कम होती हैं। संपूर्ण विचार यह है कि व्यक्ति को बहुत सुरक्षित रूप से वाहन चलाना चाहिए और यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि अन्य महामारी या बीमारियों की तुलना में सड़क दुर्घटनाएं और इससे होने वाली मौतों को प्राथमिकता नहीं मिलती है। बेंगलूरु में हर वर्ष करीब 10 हजार लोग सड़क दुर्घटना में मरते हैं। ज्यादातर मामलों में सिर में गंभीर चोट के कारण मौतें होती हैं। कोविड महामारी के कारण भारत में करीब पांच लाख लोगों की मौत हुई है जबकि इसी अवधि में सड़क हादसों में चार से साढ़े लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

दो फीसदी वाहन, 12 फीसदी मौतें

उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया भर के वाहनों का केवल दो प्रतिशत है। लेकिन, सड़क हादसों (Road Accidents) में होने वाली मौतों की संख्या करीब 12 फीसदी है। यातायात पुलिस सड़क हादसे कम करने का प्रयास कर रही है। समस्या यह है कि ट्रैफिक कम होते ही या अच्छी सड़क मिलते ही लोग तेज गति से वाहन भगाने लगते हैं और अपने साथ दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल देते हैं।

बेंगलूरु में हर वर्ष होती हैं 10 हजार मौतें, सिर में गंभीर चोटों के मामले ज्यादा

निम्हांस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि वर्ष 2021 में देश भर में हुए सड़क हादसों में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई। इनमें से 34,647 मौतें Karnataka में हुईं। बेंगलूरु शहर में 654 लोगों ने जान गंवाई। चोट के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या मौतों की संख्या से लगभग 30 गुना ज्यादा होने का अनुमान है। लगभग 30-70 फीसदी सड़क हादसों में सिर में चोट लगती है। सिर में चोट लगने के कारण मस्तिष्क में सूजन होती है। खोपड़ी के अंदर दबाव बनने से नुकसान ज्यादा होता है। सड़क हादसों में चोटिल 25-30 फीसदी लोग आजीवन नि:शक्तता का शिकार हो जाते हैं।
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