यह बातें विशेष पुलिय आयुक्त (यातायात) डॉ. एमए सलीम (Dr. MA Saleem) ने कही। वे सोमवार को विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस (world head injury awareness day) पर राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans) सभागर में निम्हांस की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
रिंग रोड खुलते ही बढ़ा मौतों का आंकड़ा
दो दशक पहले निर्मित बाहरी रिंग रोड का उदहारण देते हुए डॉ. सलीम ने कहा कि रिंग रोड के बनने से पहले साल भर में सड़क हादसों में 16 या कम मौतें होती थीं। लेकिन, रिंग रोड बनते ही वार्षिक मौतों की संख्या करीब 250 पहुंच गई। उन्होंने Bengaluru-Mysuru Expressway का भी जिक्र किया।
जाम से कम हादसे
अच्छे नियमन या अच्छे प्रवर्तन के कारण नहीं बल्कि ट्रैफिक जाम (traffic jam) के कारण अन्य शहरों की तुलना में बेंगलूरु में कम दुर्घटनाएं कम होती हैं। संपूर्ण विचार यह है कि व्यक्ति को बहुत सुरक्षित रूप से वाहन चलाना चाहिए और यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अन्य महामारी या बीमारियों की तुलना में सड़क दुर्घटनाएं और इससे होने वाली मौतों को प्राथमिकता नहीं मिलती है। बेंगलूरु में हर वर्ष करीब 10 हजार लोग सड़क दुर्घटना में मरते हैं। ज्यादातर मामलों में सिर में गंभीर चोट के कारण मौतें होती हैं। कोविड महामारी के कारण भारत में करीब पांच लाख लोगों की मौत हुई है जबकि इसी अवधि में सड़क हादसों में चार से साढ़े लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
दो फीसदी वाहन, 12 फीसदी मौतें
उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया भर के वाहनों का केवल दो प्रतिशत है। लेकिन, सड़क हादसों (Road Accidents) में होने वाली मौतों की संख्या करीब 12 फीसदी है। यातायात पुलिस सड़क हादसे कम करने का प्रयास कर रही है। समस्या यह है कि ट्रैफिक कम होते ही या अच्छी सड़क मिलते ही लोग तेज गति से वाहन भगाने लगते हैं और अपने साथ दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल देते हैं।