सांप काटने की दवा बेअसर, हर साल 46 हजार की मौत
बैंगलोरPublished: Dec 14, 2019 09:36:08 am
आईआईएससी के शोध में चौंकाने वाले तथ्य, राजस्थान का सिंध क्रैट सबसे जहरीला मगर कोई एंटी-वेनम उपलब्ध नहीं
सांप काटने की दवा बेअसर, हर साल 46 हजार की मौत
बेंगलूरु.
विषैले जंतुओं के दंश में सबसे भयंकर सर्पदंश का देश में हो रहा उपचार माकूल नहीं है। सर्पदंश का एकमात्र मान्य वैज्ञानिक उपचार प्रतिदंश विष (एंटी वेनम) है लेकिन देश में तैयार हो रहा एंटी वेनम कारगर नहीं है। भारत को सर्पदंश की राजधानी कहा जाता है और कारगर उपचार के अभाव में हर वर्ष 46 हजार से अधिक मौतें हो रही हैं। एक लाख 40 हजार से अधिक लोग हर साल अपंगता का शिकार हो जाते हैं।
देश की शीर्ष अनुसंधान संस्थाओं में से एक भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोध में यह बात सामने आई है कि बाजार में उपलब्ध एंटी-वेनम चिकित्सकीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कई विषैले सांपों के काटने पर पूरी तरह निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। इसका उपयोग करने वाले ना तो एंटी वेनम के असर से वाकिफ हैं और ना ही उन्हें यह पता है कि जिस एंटी वेनम का उपयोग किया जा रहा है उसका विपरीत असर भी हो सकता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है कि एंटी वेनम जिस प्रोटोकॉल के तहत तैयार हो रहा है वह सदियों से अपरिवर्तित है।
सांपों की सिर्फ चार प्रजाति को ध्यान में रखकर तैयार हो रहा एंटी
वेनम
लगभग दो वर्षों तक इस विषय पर शोध करने वाले आईआईएससी के प्रोफेसर कार्तिक सुनागर ने पत्रिका को बताया किदेश में जो एंटी वेनम तैयार होता है वह सिर्फ चार विषैले सांपों कॉमन कोबरा, रसल वाइपर, सॉ स्केल्ड वाइपर और सामान्य क्रैट को ध्यान में रखकर हो रहा है। लेकिन, कई अन्य प्रजातियों के सांप भी काफी विषैले हैं जिनका विष घातक होता है। उनके लिए कोई एंटी वेनम देश में नहीं है। शोध से पता चला कि राजस्थान का सिंध क्रैट देश का सबसे जहरीला करैत सांप है। इसका विष तो सामान्य कोबरा से 40 गुणा अधिक घातक है। लेकिन, इसके लिए कोई एंटी वेनम नहीं है। ये जहरीले सांप राजस्थान के अलावा पंजाब, उत्तराखंड और पाकिस्तान में भी पाए जाते हैं। इनके अलावा भी कई ऐसे सांप हैं जिनके लिए कोई एंटी वेनम नहीं बनता। अस्पतालों में सर्पदंश का इलाज उपलब्ध एंटीवेनम से होता लेकिन, किसी को मालूम नहीं है कि वह असरदार है या नहीं। उसका उपयोग कर सकते हैं या नहीं कर सकते। कई बार यह विपरीत प्रभाव भी डालते हैं। देश में पाई जाने वाली सांपों की 270 प्रजातियों में से 60 प्रजातियां चिकित्सकीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं और सर्पदंश के प्रभावी उपचार के लिए क्षेत्रीय आधार पर एंटी वेनम तैयार होना चाहिए।
जहर की प्रकृति को ध्यान में रखकर तैयार होना चाहिए एंटी वेनम
डॉ. सुनागर ने अपने अध्ययन के दौरान चार बड़े विषैले सांपों के अतिरिक्त देश के अन्य जहरीले सांपों के विष का तुलनात्मक विश्लेषण किया। अध्ययन में यह बात सामने आई कि क्षेत्रीय आधार पर सांपों के जहर में अंतर होता है। जिन चार सांपों को ध्यान में रखकर एंटी वेनम तैयार हो रहे हैं वे राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, अरुणांचल प्रदेश सहित अन्य क्षेत्रों के सांपों के काटने पर निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं। शोध से यह भी पता चला कि तमिलनाडु के लिए अलग एंटीवेनम तैयार होना चाहिए तो पंजाब के लिए अलग। यहां तक कि पश्चिम बंगाल और अरुणांचल प्रदेश के मोनोकेल्ड कोबरा के जहर में भी अंतर है। जहां पश्चिम बंगाल के कोबरा का दंश तंत्रिका तंत्र पर आघात करता है वहीं अरुणांचल के मोनोकेल्ड कोबरा का विष कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है। इसलिए एंटी वेनम का निर्माण क्षेत्रीय आधार पर सांपों के जहर की प्रकृति को ध्यान में रखकर तैयार होना चाहिए। फिलहाल इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
नए किस्म के एंटीवेनम के उत्पादन की उम्मीद
सुनागर ने बताया कि कई एंटी वेनम निर्माता कंपनियों के साथ मिलकर वे क्षेत्रीय आधार पर (मसलन, पश्चिमी क्षेत्र, या पूर्वी क्षेत्र ना कि राज्यों के आधार पर) एंटी वेनम के उत्पादन के प्रयास शुरू हो चुके हैं। जल्दी ही क्षेत्रीय आधार पर एंटी वेनम तैयार होगा जिनसे सर्पदंश का प्रभावी इलाज हो सकेगा।