मानव का सच्चा धर्म दया और करुणा में निहित-आचार्य देवेंद्रसागर
बैंगलोरPublished: May 04, 2022 08:09:34 am
धर्मसभा का आयोजन
मानव का सच्चा धर्म दया और करुणा में निहित-आचार्य देवेंद्रसागर
मैसूर. आदेश्वर वाटिका में प्रवचन देते हुए आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा कि दया मनुष्य का मूल स्वभाव है। प्राणी और प्रकृति के प्रति उसका जो प्रेम है, वह हमेशा बताता है कि यही सत्य है। मानव ने जब भी दया भाव से दूर जाकर जीव या जड़ तत्वों को प्रताडि़त किया है, नतीजे में उसे नुकसान ही मिला है। इंसान में जब कभी दया या करुणा का अभाव हुआ है, वह न केवल दूसरों के लिए, बल्कि खुद अपने लिए और अपनों के लिए भी निर्दयी बना है। शास्त्रों में दया को धर्म का मूल और अभिमान को पाप की जड़ बताया गया है। यानी कि मानव का सच्चा धर्म दया और करुणा ही है। इसके विपरीत अभिमान और घमंड जैसे विकार सभी पापों के मूल में हैं। ये इंसान को सदा दुख में रखते हैं, उसकी आत्मा को शांत नहीं होने देते। चाहे वे दैहिक, भौतिक अहंकार हों या फिर दुनियावी उपलब्धियों के अभाव से उत्पन्न अशांति और असंतोष हो, दोनों ही स्थितियों में ईष्र्या, द्वेष, घृणा, हिंसा, लड़ाई-झगड़ा, शोषण, उत्पीडऩ और अपराध रूपी पाप ही जन्म लेते हैं। इन सब समस्याओं का स्थायी समाधान जन-जन में अध्यात्म, आत्मबोध और आत्म जागृति की लहर फैलाने में है। जब लोग जान जाएंगे कि यहां उनका कुछ नहीं है, तो मिथ्या अभिमान भी जाता रहेगा। वास्तव में ‘मैं-मेरा, तू-तेरा’ वाली दैहिक दृष्टि संकीर्ण स्वार्थ की निशानी है, जबकि आत्मिक चेतना और धर्म आचरण हमारी सीमाएं खोलकर हमें सभी प्रकार के दुनियावी भेदभाव, घृणा और द्वेष से ऊपर उठाते हैं। इन्हीं से धार्मिक सहिष्णुता, कौमी एकता, भाईचारा, विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुंबकम जैसी सद्भावनाएं विकसित होती हैं। धर्म प्रवचन के बाद सिद्धार्था ले आऊट पार्षद एवं मैसूर नगर विकास परिषद के चेयरमैन सत्या राजू ने आचार्य देवेंद्रसागर सूरी के दर्शन वंदन का लाभ लिया।