सत्य से मिलती है सफलता: देवेंद्रसागर
- पाश्र्व सुशीलधाम में प्रवचन

बेंगलूरु. पाश्र्व सुशीलधाम में प्रवचन में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा की हर किसी का जीवन संघर्षमय है और वह एक मनचाहा फल पाने के सपने का पीछा ही तो कर रहा है। अक्सर हम देखते हैं कि उस लक्ष्य को पाने की कोशिश में गलाकाट स्पर्धा, अंधाधुंध गति के जाल में फंसकर लोगों की स्वभाविकता गायब हो जाती है।
उदाहरण के लिए, कारोबार में किसी खास मुकाम तक पहुंचने के लिए गलत तरीका अपना लेना या किसी को प्रभावित करने के लिए बस झूठ बोलना या अपने किसी दुर्गुण को छिपाने के लिए किसी और की कमियों का ढोल पीटकर मुनादी करना। इतना दोहरापन कतई अच्छा नहीं है, न तो शरीर के लिए और न ही मन के लिए।
उन्होंने कहा कि यदि किसी का अंधानुकरण करने लगें और ऐसा लगे कि आप अपने मिथ्याचरण से साफ-सुथरे निकल आएंगे या यह आपके लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम रहा है, तो गंभीर होकर विचार करें। ये अवगुण, आलस, आधा-अधूरा प्रयास, झूठ, आडंबर सब के सब एक सार्थक जीवन को उसकी विपरीत दिशा में धकेलने वाले हैं।
इन धोखों के सहारे जो पद-प्रतिष्ठा हाथ आती है, वह हाथों से रेत की मानिंद पलक झपकते ही फिसल भी जाती है। जीवन में वही लोग सफलता के शीर्ष पर पहुंचते हैं, अनुशासन, समर्पण, सत्य, हर समय हर किसी से सीखने की प्रवृत्ति और सबसे एक समान व्यवहार जिनका स्वभाव होता है।
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